नई दिल्ली। देश के पूर्व प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री, जनसंघ नेता श्यामा प्रसाद मुखर्जी और दीन दयाल उपाध्याय की संदिग्ध परिस्थितियों में हुई मौत की जांच नहीं होगी। बुधवार को सरकार की तरफ से राज्यसभा में यह बयान दिया गया। राज्यसभा में गृह मंत्रालय की तरफ से लिखित में जबाव दिया गया है कि इन नेताओं की मौत की जांच के लिए कोई कमेटी नहीं बनाई जाएगी।
पूर्व प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री की 11 जनवरी 1966 को तासकंद में संदिग्द परिस्थियों में मौत हो गई थी, हाल ही में उनकी मौत पर ताशकंद फाइल्स नाम से एक फिल्म भी बनाई गई है, जनसंघ नेता श्यामा प्रसाद मुखर्जी की 23 जून 1953 को श्रीनगर और दीनदयाल उपध्याय की 11 फरवरी 1968 को रहस्यमय परिस्थितियों में मौत हो गई थी।
श्यामा प्रसाद मुखर्जी जनसंघ के संस्थापक थे, वे प्रथम प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू के मंत्रीमंडल में मंत्री भी रहे लेकिन नेहरू के साथ उनके मतभेद होने की वजह से उन्होंने मंत्रीमंडल से त्यागपत्र दे दिया। 23 जून 1953 को जम्मू-कश्मीर में संदिग्ध परिस्थितियों में उनकी मौत हो गई थी। दीन दयाल उपाध्याय जनसंघ के अध्यक्ष होते थे, ऐसा कहा जाता है कि 11 फरवरी को 1968 को संदिग्ध परिस्थितियों में उनका शव मुगल सराय स्टेशन पर मिला था। मोदी सरकार ने दीन दयाल उपाध्याय के सम्मान में अब मुगल सराय स्टेशन का नाम बदलकर दीन दयाल उपाध्याय स्टेशन रख दिया है।
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