नयी दिल्ली। केंद्र सरकार ने गुरुवार को उन आरोपों को “पूर्ण रूप से आधारहीन” करार दिया कि सरकार ने यह कहने में जल्दबाजी दिखाई कि 19 स्वास्थ्य कर्मियों की मौत का कारण कोविड-19 का टीका नहीं है। सरकार ने कहा कि अभी तक ऐसा कोई साक्ष्य नहीं मिला है जिससे यह पता चल सके कि टीके के कारण उक्त स्वास्थ्य कर्मियों की मौत हुई।
सरकार के अनुसार, विशेषज्ञों की राय जानने के बाद 19 स्वास्थ्य कर्मियों की मौत का विवरण सार्वजनिक किया जाएगा। देशव्यापी टीकाकरण अभियान की शुरुआत 16 जनवरी को हुई थी। मंत्रालय में सचिव राजेश भूषण ने एक प्रेस वार्ता के दौरान पूछे गए एक प्रश्न का जवाब देते हुए कहा कि भारत में टीकाकरण के दुष्प्रभाव पर निगरानी का बेहद मजबूत तंत्र है और 19 लोगों की मौत का विवरण जल्दी ही सार्वजनिक किया जाएगा।
नीति आयोग के सदस्य वी के पॉल ने कहा कि अभी तक टीके के कारण किसी की मौत होने का मामला सामने नहीं आया है। पॉल ने कहा, “यह स्थापित हो चुका है कि टीका सुरक्षित है। पैंतालीस लाख खुराक देने के बाद न्यूनतम दुष्प्रभाव देखने को मिले हैं जैसे कि 1,150 में से एक व्यक्ति पर टीके का दुष्प्रभाव देखा गया। अभी तक किसी की मौत होने का मामला सामने नहीं आया है। इससे साबित होता है कि टीका सुरक्षित है।”
टीके के बाद होने वाली मौत के मुद्दे पर स्पष्टीकरण देते हुए भूषण ने कहा कि टीका लगने के बाद उसके दुष्प्रभाव का अध्ययन करने वाली समितियों ने कहा है कि ऐसे साक्ष्य नहीं मिले जिनसे साबित हो सके कि 19 लोगों की मौत कारण टीका था। उन्होंने कहा कि एक बार राष्ट्रीय स्तर की समिति की बैठक में निर्णय हो जाए तो इस मुद्दे पर स्पष्टता आएगी।
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