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Hindi News भारत राष्ट्रीय राहुल गांधी से बोले स्वीडिश डॉक्टर, लॉकडाउन से बाहर आने की रणनीति पर किसी देश ने नहीं सोचा

राहुल गांधी से बोले स्वीडिश डॉक्टर, लॉकडाउन से बाहर आने की रणनीति पर किसी देश ने नहीं सोचा

कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने कोरोना वायरस महामारी पर अपनी बातचीत की सीरीज को जारी रखते हुए जाने-माने स्वीडिश डॉक्टर व स्टॉकहोम के कारोलिंस्का इंस्टीट्यूट में प्रोफेसर एमेरिटस जोहान गिसेके से बात की।

Rahul Gandhi, Rahul Gandhi Johan Giesecke, Johan Giesecke, Johan Giesecke Lockdown- India TV Hindi Image Source : PHOTO: YOUTUBE.COM/RAHULGANDHI India will ruin its economy very quickly if it had a severe lockdown, says Swedish health expert to Rahul Gandhi.

नई दिल्ली: कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने कोरोना वायरस महामारी पर अपनी बातचीत की सीरीज को जारी रखते हुए जाने-माने स्वीडिश डॉक्टर व स्टॉकहोम के कारोलिंस्का इंस्टीट्यूट में प्रोफेसर एमेरिटस जोहान गिसेके से बात की। गिसेके ने कहा कि लॉकडाउन की घोषणा करने से पहले इससे बाहर निकलने की रणनीति के बारे में किसी देश ने नहीं सोचा। जोहान गिसेके ने कहा, ‘यूरोप के जिन सभी देशों ने एक या दो महीने पहले लॉकडाउन लगाया, उन्होंने उस समय इससे बाहर निकलने की रणनीति के बारे में नहीं सोचा।’

‘लॉकडाउन से चरणबद्ध तरीके से निकलना चाहिए’
गिसेके ने कहा कि 'आप बेहद सख्त लॉकडाउन के अच्छे के बजाए ज्यादा नुकसान देखेंगे। हर एक देश ने कहा था कि हम इस लॉकडाउन को लगाएंगे, हम इस स्कूल को बंद कर देंगे, हम इस सीमा को बंद कर देंगे, हम रेस्तरां को बंद कर देंगे। मुझे नहीं लगता कि उस समय उन्होंने इस बारे में सोचा होगा कि इससे कैसे बाहर आया जाएगा। अब हर कोई एक ही सवाल पूछ रहा है कि हम इससे कैसे बाहर निकलें।' उन्होंने कहा कि इससे चरणबद्ध तरीके से बाहर निकलना चाहिए। गिसेके ने राहुल से बातचीत में कहा, ‘भारत में एक के बाद एक प्रतिबंध हटाना चाहिए, आप एक प्रतिबंध हटाएं, एक में नरमी लाएं।’


‘2-3 सप्ताह तक प्रतीक्षा करें और देखें कि क्या होता है’
गिसेके ने कहा, ‘2-3 सप्ताह तक प्रतीक्षा करें और देखें कि क्या होता है। अगर बीमारी का प्रसार अधिक है, तो एक कदम पीछे हटें और अन्य तरह का प्रतिबंध लगाने का प्रयास करें। मुझे लगता है कि लॉकडाउन को खत्म करने में महीनों लगेंगे। लेकिन आपको एक बार में एक प्रतिबंध लगाना चाहिए और देखना होगा कि क्या होता है।’ हालांकि, उन्होंने कहा कि यह एक मुश्किल संतुलन है। हमने इसे स्वीडन में जिस तरह से किया है उसका मुख्य मकसद बुजुर्गो और कमजोरों को सुरक्षित रखना है। उन्हें बीमारी से बचाना चाहिए, बाकी चीजें बाद में आती हैं।

‘हमने स्वीडन को पूरी तरह से बंद नहीं किया है’
उन्होंने कहा कि हमने स्वीडन को पूरी तरह से बंद नहीं किया है। कई कार्यस्थल खुले हैं। हमारे लिए प्रतिबंध नहीं हैं। आप बाहर जाकर लोगों से मिल सकते हैं। गिसेके ने भारत के बारे में सुझाव देते हुए कहा, ‘अगर आपने एक कड़ा लॉकडाउन लगाया है तो आप बहुत जल्दी अपनी अर्थव्यवस्था को बर्बाद कर देंगे। मुझे लगता है कि लॉकडाउन को छोड़ना बेहतर है, बुजुर्गो और कमजोरों का ख्याल रखें और अन्य लोगों को संक्रमित होने दें। अधिकांश लोग बीमार भी नहीं होंगे। उनका ध्यान भी नहीं जाएगा कि वे संक्रमित हैं।’

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