नयी दिल्ली। दिल्ली उच्च न्यायालय ने 2002 के बहुचर्चित नीतीश कटारा हत्याकांड मामले में आजीवन कारावास की सजा भुगत रहे विशाल यादव की आपात पैरोल की याचिका बृहस्पतिवार को खारिज कर दी। न्यायमूर्ति वी के राव ने वीडियो कांफ्रेंस के जरिए आदेश सुनाते हुए यादव की याचिका खारिज कर दी। दिल्ली सरकार के अतिरिक्त स्थायी वकील राजेश महाजन ने पुष्टि की कि यादव की याचिका खारिज कर दी गई है। अदालत के विस्तृत आदेश की प्रतीक्षा है।
यादव ने आठ सप्ताह के आपात पैरोल का अनुरोध करते हुये दावा था कि जेल में क्षमता से अधिक भीड़ और पर्याप्त साफ-सफाई नहीं होने के कारण वह कोरोना वायरस या टीबी से संक्रमित हो सकता है। विशाल यादव ने इससे पहले भी इसी प्रकार की याचिका अप्रैल में दायर की थी, जिसका उच्च न्यायालय ने दो मई को निपटारा कर दिया था। अदालत ने सक्षम प्राधिकारी, जो जेल नियमावली के तहत उपराज्यपाल है, से कहा था कि यादव की याचिका को प्रतिवेदन के रूप में लिया जाये और 15 दिन के भीतर इस पर निर्णय लें।
सक्षम प्राधिकारी ने 16 मई को यादव की यह याचिका इस आधार पर खारिज कर दी थी कि उसे बिना किसी छूट या माफी के 25 साल कारावास की सजा सुनाई गई है। यादव ने नयी याचिका में 16 मई का आदेश खारिज किए जाने का भी अनुरोध किया था। उच्चतम न्यायालय ने तीन अक्टूबर 2016 को कटारा के अपहरण और हत्या के सनसनीखेज मामले में विकास यादव और उसके रिश्ते के भाई विशाल को क्षमा के लाभ के बिना 25 साल कैद की सजा सुनाई थी।
मामले में सह अभियुक्त सुखदेव पहलवान को भी 20 साल कैद की सजा सुनाई गई थी। उल्लेखनीय है कि दोषियों ने विकास की बहन भारती यादव से कथित प्रेम संबंध होने की वजह से कटारा का एक शादी समारोह से अपहरण कर हत्या कर दी थी। भारती यादव उत्तर प्रदेश के नेता डीपी यादव की बेटी है। डीपी यादव भी हत्या के एक मामले में जेल में हैं।
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