संशोधित नागरिकता कानून को लागू करने का राज्यों का विरोध ‘असंवैधानिक’ है: वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण
केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने कुछ राज्यों द्वारा संशोधित नागरिकता कानून को लागू नहीं करने के प्रस्ताव को ‘असंवैधानिक’ करार दिया और कहा कि यह सभी की जवाबदेही है कि संसद में पारित कानून को लागू करना सुनिश्चित करें।
चेन्नई: केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने कुछ राज्यों द्वारा संशोधित नागरिकता कानून को लागू नहीं करने के प्रस्ताव को ‘असंवैधानिक’ करार दिया और कहा कि यह सभी की जवाबदेही है कि संसद में पारित कानून को लागू करना सुनिश्चित करें। संशोधित नागरिकता कानून का बचाव करते हुए उन्होंने कहा कि राष्ट्रीय नागरिक पंजी (एनआरसी) और राष्ट्रीय जनसंख्या पंजी के साथ सीएए को मिलाने की जरूरत नहीं है। उन्होंने कानून का विरोध करने वालों से अपील की कि ऐसे आरोप नहीं लगाएं जिससे लोगों के बीच अशांति फैले। वित्त मंत्री ने इन आरोपों से भी इंकार किया कि नरेन्द्र मोदी सरकार नागरिकता प्रदान करने में चुनिंदा रूख अपना रही है और कहा कि पाकिस्तान के गायक अदनान सामी और पड़ोसी देशों के 3900 अन्य लोगों को पिछले छह वर्षों में नागरिकता दी गई है।
उन्होंने कहा, ‘‘एक राज्य की विधानसभा ने सीएए के खिलाफ प्रस्ताव पारित किया है। यह राजनीतिक बयानबाजी करने जैसा है। हम उसे समझ सकते हैं।’’ वित्त मंत्री ने कहा, ‘‘लेकिन यह कहना कि वे इसे लागू नहीं करेंगे, कानून के खिलाफ है। ऐसा कहना असंवैधानिक है।’’ सीएए पर ‘चेन्नई सिटीजन्स फोरम’ की तरफ से आयोजित एक कार्यक्रम में दर्शकों द्वारा पूछे गए एक सवाल के जवाब में सीतारमण ने कहा कि केरल जैसे कुछ राज्यों ने अपने यहां सीएए को लागू करने का विरोध किया है। मंत्री ने कहा, ‘‘किसी राज्य की विधानसभा सीएए लागू नहीं करने का प्रस्ताव पारित कर सकती है। यह राजनीतिक बयानबाजी है। वे आगे बढ़ सकते हैं और हम ऐसा करने से उन्हें नहीं रोक सकते।’’
उन्होंने कहा, ‘‘इस देश में हर किसी की जिम्मेदारी है कि संसद में पारित कानून को लागू करे।’’ वह कानून के समर्थन में भाजपा के देशव्यापी कार्यक्रम ‘जनजागरण अभियान’ में यहां हिस्सा लेने आई हैं। केरल और पंजाब के विधानसभाओं ने सीएए को वापस लेने की मांग करते हुए प्रस्ताव पारित किए। इस कानून के खिलाफ देश भर में प्रदर्शन हुए हैं। केरल की सरकार ने भी पिछले हफ्ते सीएए के खिलाफ उच्चतम न्यायालय का दरवाजा खटखटाया था और इसे ‘‘संविधान में वर्णित समता, स्वतंत्रता और धर्मनिरपेक्षता के सिद्धांतों का उल्लंघन करने वाला’’ घोषित करने की मांग की थी। केरल, राजस्थान, मध्यप्रदेश, पश्चिम बंगाल और महाराष्ट्र सहित कई राज्यों ने सीएए से असहमति जताई है।
निर्मला सीतारमण ने कहा कि पिछले छह वर्षों के दौरान कुल 2838 पाकिस्तानी नागरिकों, 914 अफगान नागरिकों और बांग्लादेश के 172 लोगों को भारतीय नागरिकता दी गई है। इसमें 566 मुस्लिम भी हैं। उन्होंने कहा, ‘‘इसके अलावा 1964 से 2008 के दौरान श्रीलंका के 4.61 लाख तमिलों को भी नागरिकता दी गई।’’ मंत्री ने बांग्लादेश की लेखिका तस्लीमा नसरीन की तरफ भी इशारा किया जिन्हें 2004 से ही रहने की अनुमति दी गई है।
सीएए का विरोध करने वालों को हाथ जोड़कर सीतारमण ने कहा कि अगर आपको कोई आपत्ति है तो बोलिए और संसद में सवाल उठाइए। उन्होंने कहा, ‘‘कृपया कोई आरोप नहीं लगाइए जो सत्य नहीं हैं और जिससे लोगों में अशांति फैले।’’ मंत्री ने कहा कि सीएए संवेदनशील मुद्दा है और इसमें सावधानी बरती जानी चाहिए और इसे एनपीआर या एनआरसी से जोड़ने की जरूरत नहीं है।