नई दिल्ली। बलात्कार की बढ़ती घटनाओं पर देश भर में बढ़ते आक्रोश और नाबालिगों के खिलाफ यौन अपराध के दोषियों के प्रति राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद के सख्त रुख के बीच वकीलों का मानना है कि 2012 के निर्भया मामले के एक दोषी की दया याचिका को राष्ट्रपति की मंजूरी मिलने की उम्मीद कम है। केन्द्रीय गृह मंत्रालय और दिल्ली सरकार ने निर्भया बलात्कार और हत्या के दोषियों में से एक विनय शर्मा की दया याचिका खारिज करने की सिफारिश राष्ट्रपति से की है।
वरिष्ठ अधिवक्ता विकास पाहवा ने कहा कि इस मामले में दोषी को राष्ट्रपति से किसी प्रकार की राहत मिलने की उम्मीद कम है लेकिन राष्ट्रपति को दया याचिका पर स्वतंत्र तौर पर और बिना किसी राजनीतिक हस्तक्षेप के निर्णय लेना है। एक अन्य अधिवक्ता सिद्धार्थ लूथरा ने कहा कि अगर राष्ट्रपति इस ओर इशारा करते हैं कि नाबालिगों के खिलाफ यौन अपराध के दोषियों को दया यचिका के अधिकार से वंचित किया जाना चाहिए या अगर वह निर्भया मामले में दया याचिका खारिज कर देते हैं तो इससे मामले का पटाक्षेप हो जाता है।
उन्होंने कहा,‘‘उन्हें किसी प्रकार की राहत मिलने की उम्मीद कम है और मुझे नहीं लगता कि राष्ट्रपति दया याचिका को मंजूरी देंगे। लेकिन इसमें किसी प्रकार का राजनीतिक हस्तक्षेप नहीं होना चाहिए। राष्ट्रपति को मामले के तथ्यों के आधार पर स्वतंत्र रूप से निर्णय लेना चाहिए।”
गौरतलब है कि राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने माउंट आबू में ब्रह्मकुमारी के मुख्यालय में सामाजिक परिवर्तन के लिए महिला सशक्तिकरण पर राष्ट्रीय सम्मेलन का उद्घाटन करते हुए कहा कि पोक्सो कानून के अधीन आने वाली घटनाओं में अभियुक्तों को दया के अधिकार से वंचित किया जाना चाहिए और उन्हें इस तरह का अधिकार दिए जाने की कोई जरूरत नहीं है। महिलाओं व बच्चियों के खिलाफ होने वाले अपराधों का जिक्र करते हुए राष्ट्रपति ने कहा, ‘'इस तरह के जो अभियुक्त होते हैं उन्हें संविधान में दया याचिका अधिकार दिया गया है और मैंने कहा है कि इस पर आप पुनर्विचार करिए।’’
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