निर्भया के दोषियों ने अंतरराष्ट्रीय न्यायालय से लगाई गुहार, कहा- जनता के दबाव में दी जा रही है फांसी
निर्भया के तीन दोषियों ने अब इंटरनेशनल कोर्ट ऑफ जस्टिस का दरवाजा खटखटाया है।
नई दिल्ली: निर्भया के तीन दोषियों ने अब इंटरनेशनल कोर्ट ऑफ जस्टिस (ICJ) का दरवाजा खटखटाया है। दोषी अक्ष्य, पवन और विनय ने इंटरनेशनल कोर्ट ऑफ जस्टिस से अपनी मौत की सज़ा पर रोक लगाने की मांग की है। इन तीनों ने कोर्ट से कहा है कि उन्हें जनता के दबाव में आकर फांसी दी जा रही है। बता दें कि दिल्ली कि पटियाला हाउस कोर्ट ने चारों दोषियों का डेथ वारंट जारी किया है। सभी को 20 मार्च को फांसी दी जानी है।
दोषियों के वकील एपी सिंह का बयान
तीन दोषियों के वकील एपी सिंह ने कहा कि "एनआरआई और उनके संगठन मामले को देख रहे थे। विभिन्न संगठनों द्वारा याचिकाओं की प्रतियां आईं, जिसमें मांग की गई कि केस के रिकॉर्ड आईसीजे के समक्ष रखे जाएं, तत्काल सुनवाई की जाए और मौत के वारंट पर रोक लगाई जाए। हम भारतीय न्यायपालिका पर भरोसा करते हैं, लेकिन वे नहीं करते हैं। उन्होंने आईसीजे के दरवाजे खटखटाए हैं।"
छह में से चार दोषियों को फांसी
दोषियों- मुकेश कुमार सिंह (32), पवन गुप्ता (25), विनय कुमार शर्मा (26) और अक्षय कुमार सिंह (31) को 20 मार्च की सुबह 5.30 बजे फांसी दी जाएगी। हालांकि, निर्भया मामले में छह आरोपी थे, जिनमें से कोर्ट ने चार मुजरिमों को फांसी की सजा सुना रखी है जबकि एक नाबालिग मुजरिम को जुवेनाइल जस्टिस बोर्ड ने तीन साल की अधिकतम सजा के साथ सुधार केंद्र भेजा गया था और छठें मुजरिम ने मुकदमा लंबित होने के दौरान ही जेल में आत्महत्या कर ली थी।
सात साल बाद फांसी की तारीख
गौरतलब हो कि दिल्ली उच्च न्यायालय ने 13 मार्च 2014 को मृत्युदंड के फैसले पर अपनी मुहर लगाई थी। लेकिन, तब से लगातार कानूनी दांवपेचों के चलते दोषी अपनी फांसी को टलवाते रहे हैं। दोषियों ने फांसी से बचने के लिए उच्चतम न्यायालय से लेकर राष्ट्रपति तक, हर जगह गुहार लगाई लेकिन हर जगह से उन्हें निराशा ही हाथ लगी। हालांकि, इस कारण फांसी में सात साल का समय लग गया।
16-17 दिसंबर 2012 की खौफनाक रात...
वो तारीख थी 16 दिसंबर, साल था 2012, बस का नम्बर था DL 1PC 0149 और जगह थी दिल्ली के मुनिरका का बस स्टॉप। यहां से निर्भया और उसका दोस्त बस में चढ़े। वो नहीं जानते थे कि दिल्ली की बरसती सर्द ठंड ने बस में पहले से मौजूद लोगों के अंदर वाले इंसान को जमा दिया है। एक नाबालिग समेत बस में मौजूद छह लोगों ने निर्भया को अपनी हवस को शिकार बनाया और उसके साथ बर्बरता की। निर्भया के दोस्त को पीटा, और फिर दोनों को महिपालपुर के पास सड़क किनारे छोड़कर चले गए।
वारदात के 13 दिन बाद निर्भया की मौत
निर्भया का दोस्त राहगीरों से मदद मांगता रहा लेकिन बड़े शहर के छोटे चरित्र ने उनकी बेबसी और लाचारगी को दरकिनार कर दिया। थोड़ा वक्त बीता तो मौके पर पुलिस पहुंची, जिसने निर्भया को सफदरजंग अस्पताल में भर्ती कराया। आप यकीन मानिए जितने आसान शब्दों में ये बात लिखी गई है, उतना ही भयंकर वो दृश्य था, जिसे हमने लिखने से छोड़ दिया। निर्भया ने हादसे के 13 दिन बाद सिंगापुर के एलिजाबेथ अस्पताल में दम तोड़ दिया था। उस वक्त निर्भया को इंसाफ दिलाने के लिए पूरी दिल्ली सड़कों पर आ गई थी।