नई दिल्ली: निर्भया गैंगरेप और मर्डर मामले में दोषियों की पुनर्विचार याचिका को सुप्रीम कोर्ट ने खारिज कर दिया है। इसके साथ ही अब दोषियों के पास सजा से बचने के लिए केवल 2 रास्ते बचे हैं। पहला रास्ता क्यूरेटिव पिटिशन का है और दूसरा रास्ता राष्ट्रपति के पास दया याचिका का है। कोर्ट के आज के फैसले के बाद दोषियों के वकील ने क्यूरेटिव पिटिशन दाखिल करने की बात कही है। अगर क्यूरेटिव पिटिशन भी खारिज हो जाती है तो निर्भया के गुनहगारों के पास आखिरी रास्ता राष्ट्रपति के पास दया याचिका का ही रहेगा।
क्या होती है क्यूरेटिव पिटिशन
क्यूरेटिव पिटिशन को कोई मुजरिम उस स्थिति में दाखिल करता है जब उसकी दया याचिका रिव्यू पिटिशन में खारिज कर दी जाती है। इस पिटिशन के जरिए दोषी एक बार फिर अपने लिए रहम की मांग कर सकता है। क्यूरेटिव पिटिशन सजा में रियायत मिलने के लिए दोषी के पास आखिरी मौका होती है। इसकी सुनवाई कोर्ट में न होकर बंद चैंबर में की जाती है। इसमें भी फैसला यदि दोषी के खिलाफ जाता है, तो उसके पास रहम के लिए आखिरी उम्मीद राष्ट्रपति की दया ही रह जाती है। वहीं, जब राष्ट्रपति भी दया याचिका को खारिज कर दें तब दोषी के पास और कोई रास्ता नहीं बचता है।
जानें, कोर्ट ने अपने फैसले में क्या कहा
चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा, जस्टिस आर भानुमति और जस्टिस अशोक भूषण की 3 सदस्यीय बेंच ने दोषी मुकेश, पवन गुप्ता और विनय कुमार की याचिकाएं खारिज करते हुए कहा कि 5 मई 2017 के फैसले पर पुनर्विचार करने के लिए कोई आधार नहीं है। कोर्ट ने कहा कि जिन दोषियों को मौत की सजा सुनाई गई है वे उसके निर्णय में साफ तौर पर कोई भी त्रुटि सामने रखने में विफल रहे हैं। कोर्ट ने कहा कि दिल्ली हाई कोर्ट के फैसले के खिलाफ दायर अपील पर सुनवाई के दौरान तीनों दोषियों का पक्ष विस्तार से सुना गया था और अब मौत की सजा बरकरार रखने के शीर्ष अदालत के निर्णय पर पुनर्विचार के लिए कोई मामला नहीं बनता है।
Video: निर्भया मामले में सुप्रीम कोर्ट ने दोषियों की फांसी की सजा को रखा बरकरार
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