नई दिल्ली: निर्भया सामूहिक बलात्कार और हत्या मामले में फांसी की सजा पाए चार दोषियों में से एक विनय शर्मा ने शुक्रवार को दिल्ली उच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटाकर दावा किया कि राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद द्वारा उसकी दया याचिका खारिज किए जाने में प्रक्रियागत खामियां और ‘‘संवैधानिक अनियमितताएं’’ थीं।
याचिका में क्या कहा गया?
शर्मा की तरफ से याचिका उसके वकील ए पी सिंह ने दायर की, जिन्होंने कहा कि मामले को दिल्ली उच्च न्यायालय की रजिस्ट्री में दायर किया गया है। याचिका में दावा किया गया है कि दया याचिका खारिज करने के लिए राष्ट्रपति के पास भेजी गई अनुशंसा में दिल्ली के गृह मंत्री सत्येन्द्र जैन के हस्ताक्षर नहीं हैं।
20 मार्च को होनी है फांसी
2012 में निर्भया से बलात्कार और हत्या के चारों दोषियों- मुकेश कुमार सिंह (32), पवन गुप्ता (25), विनय कुमार शर्मा (26) और अक्षय कुमार सिंह (31) को 20 मार्च को फांसी दी जाएगी। दिल्ली की पटियाला हाउस कोर्ट ने 5 मार्च को डेथ वॉरंट जारी करते हुए बताया कि चारों को 20 मार्च को सुबह 5.30 बजे फांसी दी जाएगी।
दोषियों को मरते देखना चाहती हैं निर्भया की मां
कोर्ट द्वारा डेथ वारंट जारी होने के बाद निर्भया की मां आशा देवी ने कहा था ‘‘20 मार्च की सुबह हमारे जीवन का सवेरा होगा।’’ देवी ने कहा, ‘‘निर्भया ने मरने के दौरान यह सुनिश्चित करने के लिए कहा था कि उन्हें (दोषियों को) ऐसी सजा मिले कि इस तरह का अपराध फिर कभी ना हो। यदि मौका मिला तो मैं उन लोगों को मरते देखना चाहूंगी।’’
16 दिसंबर 2012 की काली रात
16 दिसंबर 2012 की रात को दक्षिणी दिल्ली में एक चलती बस में 23 वर्षीय फिजियोथेरेपी की छात्रा से सामुहिक दुष्कर्म किया गया था। निर्भया की सिंगापुर के एक अस्पताल में इलाज के दौरान मौत हो गई थी। दिल्ली उच्च न्यायालय ने 13 मार्च 2014 को मृत्युदंड के फैसले पर अपनी मुहर लगाई थी। लेकिन, तब से अभी तक निर्भया के दोषियों को फांसी नहीं दी जा सकी है।
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