नयी दिल्ली: निर्भया सामूहिक बलात्कार और हत्या मामले के चार दोषियों में से एक मुकेश सिंह ने शुक्रवार को उच्चतम न्यायालय में एक याचिका दायर कर अपने कानूनी उपाय बहाल करने का अनुरोध किया है। दोषी का आरोप है कि उसके वकील ने उसे गुमराह किया था। वकील मनोहर लाल शर्मा के माध्यम से दायर याचिका में मुकेश सिंह ने आरोप लगाया है कि केन्द्र , दिल्ली सरकार और न्याय मित्र की भूमिका निभाने वाली अधिवक्ता वृन्दा ग्रोवर ने ‘आपराधिक साजिश’ रची और ‘छल’ किया है जिसकी सीबीआई से जांच कराई जानी चाहिए।
निचली अदालत ने निर्भया मामले में बृहस्पतिवार को नया आदेश जारी करते हुए कहा कि मुकेश कुमार सिंह, पवन गुप्ता, विनय शर्मा और अक्षय कुमार सिंह को 20 मार्च की सुबह साढ़े पांच बजे मौत होने तक फांसी पर लटकाया जाए। याचिका में कहा गया है कि याचिकाकर्ता (मुकेश) गृह मंत्रालय, दिल्ली सरकार और वृन्दा ग्रोवर तथा याचिकाकर्ता की सजा पर अमल संबंधी आदेश के मामले में सत्र अदालत, उच्च न्यायालय और शीर्ष अदालत में पेश हुए अन्य अधिवक्ताओं द्वारा संयुक्त रूप से रची गयी आपराधिक साजिश और छल का शिकार है।
याचिका में कहा गया है कि इन सभी ने सत्र अदालत के आदेश (जो सत्र अदालत ने कभी जारी नहीं किया था) से डरा कर उसे अनेक कागजों पर दस्तखत करने के लिये यह कहते हुये बाध्य किया कि उसकी ओर से सुधारात्मक याचिका समेत तमाम याचिकाएं उच्च न्यायालय और उच्चतम न्यायालय में दायर करने के लिये अदालत ने इन दस्तावेज पर हस्ताक्षर कराने का निर्देश दिया है। याचिका में दावा किया गया है कि पुनर्विचार याचिका खारिज होने की तारीख से तीन साल के भीतर सुधारात्मक याचिका दायर की जा सकती है और इसलिए उसे उपलब्ध कानूनी उपाय बहाल किये जायें तथा जुलाई, 2021 तक उसे सुधारात्मक याचिका और दया याचिका दायर करने की अनुमति दी जाये।
इस मामले में दक्षिण दिल्ली में 16-17 दिसंबर, 2012 की रात चलती बस में छह दरिन्दों ने निर्भया के साथ सामूहिक बलात्कार के बाद बुरी तरह जख्मी हालत में उसे सड़क के किनारे फेंक दिया था। निर्भया की बाद में 29 दिसंबर, 2019 को सिंगापुर के अस्पताल में मृत्यु हो गयी थी। इस मामले एक आरोपी राम सिंह ने बाद में तिहाड़ जेल में कथित रूप से आत्म हत्या कर ली थी जबकि छठा आरोपी नाबालिग था जिसे तीन साल सुधार गृह में रखा गया। इस नाबालिग को बाद में 2015 में सुधार गृह से रिहा किया गया था।
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