नयी दिल्ली: केरल के सबरीमला मंदिर में सभी उम्र की महिलाओं को प्रवेश की इजाजत देने के मुद्दे पर याचिकाओं के एक समूह पर उच्चतम न्यायालय के नौ न्यायाधीशों की एक संविधान पीठ द्वारा सोमवार को सुनवाई शुरू करेगी। साथ ही, मुस्लिम और पारसी महिलाओं के खिलाफ कथित भेदभाव के अन्य विवादास्पद मुद्दों पर भी सुनवाई की जाएगी। प्रधान न्यायाधीश एस ए बोबडे की अध्यक्षता वाली नौ सदस्यीय पीठ 60 याचिकाओं पर सुनवाई करेगी। पीठ में शामिल अन्य न्यायाधीशों में न्यायमूर्ति आर भानुमति, न्यायमूर्ति अशोक भूषण, न्यायमूर्ति एल नागेश्वर राव, न्यायमूर्ति एम एम शांतनगौडर, न्यायमूर्ति एस ए नजीर, न्यायमूर्ति आर सुभाष रेड्डी, न्यायमूर्ति बी आर गवई और न्यायमूर्ति सूर्यकांत शामिल हैं।
तत्कालीन सीजेआई रंजन गोगोई की अध्यक्षता वाली पांच न्यायाधीशों की एक पीठ द्वारा इस विषय में 3:2 से बहुमत का फैसला सुनाए जाने के बाद नौ सदस्यीय पीठ का गठन किया गया। दरअसल, 28 सितंबर 2018 के ऐतिहासिक फैसले के खिलाफ दायर पुनर्विचार याचिका पर विचार करते हुए इस विषय को एक वृहद पीठ को फैसले के जरिए सौंपा गया था। उस ऐतिहासिक फैसले के जरिए सभी उम्र की महिलाओं को सबरीमला मंदिर में प्रवेश की इजाजत दी गई थी। इस मामले की सोमवार से जो नौ न्यायाधीशों की पीठ सुनवाई करेगी उसमें पूर्ववर्ती पीठ के कोई न्यायाधीश नहीं हैं। शीर्ष न्यायालय ने 2018 के फैसले पर पुनर्विचार की मांग करने वाली याचिकाओं के समूह को सूचीबद्ध करने के बारे में सूचना देते हुए छह जनवरी को एक नोटिस जारी किया था।
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