जम्मू-कश्मीर: अलगाववादी आसिया अंद्राबी को NIA ने दिया बड़ा झटका, मकान को किया अटैच
जम्मू-कश्मीर में अतंकियों के समर्थन में रहने वाले अलगाववादी नेताओं के गुट को एक करारा झटका लगा है।
श्रीनगर: जम्मू-कश्मीर में अतंकियों के समर्थन में रहने वाले अलगाववादी नेताओं के गुट को एक करारा झटका लगा है। रिपोर्ट्स के मुताबिक, राष्ट्रीय जांच एजेंसी (NIA) ने कश्मीरी अलगाववादी नेता आसिया अंद्राबी के मकान को आतंकी गतिविधियों में इस्तेमाल किए जाने के चलते अटैच कर दिया है। NIA ने यह कार्रवाई एक केस के सिलसिले में गैर-कानूनी गतिविधि (निरोधक) कानून के तहत किया है। राष्ट्रीय जांच एजेंसी ने यह भी साफ किया है कि उसने अलगाववादी नेता के घर की तलाशी नहीं ली है।
हाफिज सईद के साथ हैं करीबी रिश्ते
जांच एजेंसी ने बताया कि आसिया अंद्राबी के इस मकान का इस्तेमाल आतंकवादी गतिविधियों के लिए होता था। यही वजह है कि इस घर को गैर-कानूनी गतिविधि रोकथाम कानून के तहत जब्त कर लिया गया है। आपको बता दें कि NIA ने इससे पहले इस संबंध में एक मामला दर्ज किया था। अलगाववादी नेता आसिया अंद्राबी दुख्तरान-ए-मिल्लत की प्रमुख है और लंबे समय से घाटी में सक्रिय रही है। रिपोर्ट्स के मुताबिक, अंद्राबी के मुंबई हमलों के मास्टरमाइंड हाफिज सईद के साथ भी बेहद करीबी रिश्ते हैं।
पाकिस्तानी झंडा फहराने पर सुर्खियों में आई थी
कश्मीरी अलगाववादी नेता आसिया अंद्राबी ने खुलासा किया था कि वह पाकिस्तानी सेना के एक अधिकारी के जरिये लश्कर-ए-तैयबा के सरगना हाफिज सईद के करीब आई। अधिकारी दुख्तारन-ए-मिल्लत नेता अंद्राबी का रिश्तेदार था। कश्मीर यूनिवर्सिटी से विज्ञान में स्नातक अंद्राबी 4 साल पहले पाकिस्तानी झंडा फहराने और पाकिस्तानी राष्ट्रगान गाने के कारण सुर्खियों में आई थी। अंद्राबी के इस कृत्य के पीछे हाफिज सईद को माना जाता है। एनआईए सूत्र ने कहा कि अंद्राबी का भतीजा पाकिस्तान सेना में कैप्टन रैंक का अधिकारी है।
हाफिज ने भी अंद्राबी को मुहैया कराया था फंड
अंद्राबी के रिश्तेदार दुबई और सऊदी अरब में भी हैं जहां से वह फंड प्राप्त करती है और भारत के खिलाफ गतिविधियों में इस्तेमाल करती है। एनआईए ने अंद्राबी के खिलाफ एक केस दर्ज किया है जिसके तहत जमात-उद-दावा के अमीर और लश्कर के मास्टरमाइंड सईद बड़े पैमाने पर अंद्राबी को फंड मुहैया कराते थे। यह धन पत्थरबाजों और हुर्रियत के समर्थकों में बांटे गए थे जिन्होंने श्रीनगर और घाटी के अन्य हिस्सों में सरकार के खिलाफ व्यापक प्रदर्शन किए।