NIA ने हत्थे चढ़ा विशाखापत्तनम जासूसी मामले का प्रमुख षड्यंत्रकारी, कई बार जा चुका है पाकिस्तान
NIA ने विशाखापत्तनम जासूसी मामले के प्रमुख षड्यंत्रकारी मोहम्मद हारून हाजी अब्दुल लकड़वाला को मुंबई से गिरफ्तार कर लिया है।
नई दिल्ली. NIA ने विशाखापत्तनम जासूसी मामले के प्रमुख षड्यंत्रकारी मोहम्मद हारून हाजी अब्दुल लकड़वाला को मुंबई से गिरफ्तार कर लिया है। जांच में पता चला है कि मोहम्मद हारून कई बार पाकिस्तान के कराची गया था, जहां उसने अपने हैंडलर्स के इशारे पर पूरी साजिश रची। इस मामले में अबतक नौसेना के 11 लोगों और पाकिस्तान में पैदा हुई भारतीय नागरिक शाहिस्ता कैसर समेत 14 लोगों को गिरफ्तार किया जा चुका है।
एनआईए के एक प्रवक्ता ने कहा कि मुंबई का रहने वाले लकड़ावाला को आपराधिक साजिश रचने और गैरकानूनी गतिविधि निरोधक अधिनियम और आधिकारिक राज अधिनियम के तहत शुक्रवार को महानगर से गिरफ्तार किया गया। अधिकारी ने कहा कि लकड़ावाला 'सीमापार व्यापार के बहाने' अपने आकाओं से मिलने कई बार कराची गया था।
उन्होंने कहा कि इन यात्राओं के दौरान, वह दो पाकिस्तानी जासूसों अकबर उर्फ अली और रिजवान के संपर्क में आया था, जिन्होंने उसे नियमित अंतराल पर नौसेना कर्मियों के बैंक खातों में पैसा जमा करने को कहा।
विशाखापत्तनम जासूसी का मामला एक अंतर्राष्ट्रीय रैकेट से संबंधित है, जिसमें पाकिस्तान में स्थित और भारत के विभिन्न स्थानों से जुड़े लोग शामिल हैं। पिछले साल 30 दिसंबर को, एनआईए ने जासूसी के इस मामले को अपने हाथ में लिया था। इसके 10 दिनों बाद एजेंसी ने पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी को संवेदनशील जानकारी लीक करने के आरोप में भारतीय नौसेना के 7 कर्मियों और एक कथित हवाला ऑपरेटर को गिरफ्तार कर लिया।
पुलिस ने कहा था कि गिरफ्तार सभी अधिकारी पाकिस्तानी महिलाओं के संपर्क में थे, जिन्होंने फेसबुक पर उनसे दोस्ती की थी। आरोप है कि अधिकारियों को सूचना उपलब्ध कराने के एवज में हवाला ऑपरेटर के माध्यम से भुगतान किया गया था। पाकिस्तानियों द्वारा इस्तेमाल किए जा रहे इन नाविकों के बीच की चैट साफतौर पर सेक्सुअल थीं।
एनआईए अधिकारियों के अनुसार, जिन महिलाओं ने फेसबुक पर अपने दोस्तों के रूप में नौसेना के कर्मियों को अपनी जाल में फंसाया है, उन्हें पाकिस्तानी खुफिया अधिकारियों ने स्थापित किया था। बाद में नाविकों को ब्लैकमेल किया गया और उन्हें संवेदनशील जानकारी देने के लिए मजबूर किया गया।
अधिकारी ने कहा कि एक जांच में पता चला है कि नौसेना के कुछ कर्मी फेसबुक, व्हाट्सएप आदि जैसे विभिन्न सोशल मीडिया प्लेटफार्मों के माध्यम से पाकिस्तानी नागरिकों के संपर्क में आए और मौद्रिक लाभ के बदले गोपनीय जानकारी साझा करने में शामिल थे। उन्होंने कहा, "पैसा इन नौसेना कर्मियों के बैंक खातों में भारतीय सहयोगियों के माध्यम से जमा किया गया था, जिनके पाकिस्तान में व्यापारिक हित हैं।"
With inputs from IANS