नयी दिल्ली: राष्ट्रीय हरित अधिकरण (NGT) ने दक्षिण कश्मीर में हिमालय में स्थित पवित्र अमरनाथ गुफा तक जाने वाले तीर्थयात्रियों को उचित बुनियादी सुविधाएं उपलब्ध नहीं कराने के लिए आज अमरनाथ श्राइन बोर्ड को फटकार लगाई। NGT ने सुप्रीम कोर्ट द्वारा वर्ष 2012 में दिए गए निर्देशों का अनुपालन नहीं करने पर नाराजगी व्यक्त करते हुए बोर्ड से पूछा कि इन वर्षों में उसने इस बारे में क्या कदम उठाए हैं।
NGT के अध्यक्ष न्यायमूर्ति स्वतंत्र कुमार की अध्यक्षता वाली पीठ ने कहा, ‘‘मंदिर के नजदीक आपने दुकानें खोलने की इजाजत दे रखी है। शौचालय की कोई उचित सुविधा नहीं है। क्या आप जानते हैं कि महिलाओं के लिए यह कितनी परेशानी की बात है। आपने तीर्थयात्रियों को उचित बुनियादी सुविधाएं उपलब्ध क्यों नहीं कराई। आप तीर्थयात्रियों के बजाए व्यावसायिक गतिविधियों को तवज्जो दे रहे हैं। यह गलत है। मंदिर की पवित्रता का ध्यान रखा जाना चाहिए लेकिन आप लोगों को समुचित दर्शन से वंचित नहीं कर सकते।’’
NGT ने पर्यावरण एवं वन मंत्रालय के अतिरिक्त सचिव की अध्यक्षता में विशेषज्ञों की एक समिति का गठन किया है जो तीर्थयात्रियों को सुविधाएं उपलब्ध कराने संबंधी कार्ययोजना पेश करेगी। इस समिति में अन्य लोगों के साथ ही जम्मू कश्मीर के पर्यावरण सचिव, केंद्रीय पर्यावरण मंत्रालय से वरिष्ठ वैज्ञानिक, जी बी पंत इंस्टीट्यूट ऑफ हिमालयन एनवायरमेंट एंड सस्टेनेबल डेवलपमेंट, वाडिया इंस्टीट्यूट ऑफ हिमालयन जियोलॉजी, अमरनाथ श्राइनबोर्ड के सीईओ, सेना का एक अधिकारी (जो ब्रिगेडियर रैंक से नीचे का न हो), राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के सदस्य सचिव भी शामिल होंगे। पीठ ने कहा कि समिति को जांच के बाद उचित मार्ग, गुफा के इर्दगिर्द के स्थल को साइलेंट जोन घोषित करने और मंदिर के निकट स्वच्छता बनाए रखने जैसे पहलुओं पर रिपोर्ट पेश करने का निर्देश दिया।
समिति से इलाके में इको-फ्रेंडली शौचालय के निर्माण के बारे में विचार करने के लिये भी कहा गया है। NGT ने श्राइन बोर्ड से कहा कि शीर्ष अदालत के 2012 के निर्देशों के अनुपालन संबंधी स्थिति रिपोर्ट दिसंबर के पहले हफ्ते में पेश की जाए। NGT ने यह निर्देश पर्यावरण कार्यकर्ता गौरी मौलेखी की याचिका पर सुनवाई के दौरान दिये। इस मामले में अगली सुनवाई पांच दिसंबर को तय की गयी है।
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