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Hindi News भारत राष्ट्रीय पंजाब में 20 दिन के बच्चे ने कोरोना को दी मात, स्वस्थ होकर लौटा घर

पंजाब में 20 दिन के बच्चे ने कोरोना को दी मात, स्वस्थ होकर लौटा घर

अप्रैल की शुरुआत में गुरदीप सिंह और उनकी पत्नी संदीप कौर एक लड़के के माता-पिता बने लेकिन उन खुशियां तब काफूर हो गईं जब जन्म के महज 20 दिनों बाद ही बच्चा कोविड-19 से संक्रमित पाया गया और उसे तेज बुखार के साथ अस्पताल में भर्ती कराया गया।

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चंडीगढ़: अप्रैल की शुरुआत में गुरदीप सिंह और उनकी पत्नी संदीप कौर एक लड़के के माता-पिता बने लेकिन उन खुशियां तब काफूर हो गईं जब जन्म के महज 20 दिनों बाद ही बच्चा कोविड-19 से संक्रमित पाया गया और उसे तेज बुखार के साथ अस्पताल में भर्ती कराया गया। नवजात जब जिंदगी के लिए जंग लड़ रहा था तो संदीप अपने बेटे सुखदीप सिंह को न दूध पिला सकी और न ही उसे सीने से लगा सकीं। परिवार के हाथ में बस दुआएं करना ही रह गया था। 10 दिन बाद शुक्रवार को जब नवजात को पंजाब इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेज (पीआईएमएस), जालंधर से छुट्टी दी गई तो गुरदीप सिंह ने कहा, ‘‘ऐसा लगता है जैसे भगवान ने हमारी प्रार्थना सुन ली है।’’

पंजाब के कपूरथला के रहने वाले गुरदीप ने कहा कि सुखदीप के कोरोना वायरस से संक्रमित पाए जाने की खबर परिवार के लिए स्तब्ध करनी वाली थी क्योंकि वह और उनकी पत्नी संक्रमित नहीं पाए गए थे। एक आधिकारिक बयान में यहां बताया गया कि आरटी-पीसीआर समेत सभी चिकित्सा जांच करने के बाद सुखदीप को पीआईएमएस, जालंधर से छुट्टी दे दी गई। अपने बेटे को एक बार फिर गोद में उठाकर संदीप की खुशी का ठिकाना ही नहीं रहा।

सुखदीप की दादी कुलविंदर कौर ने कहा, ‘‘ईश्वर की कृपा से मेरा पोता स्वस्थ होकर घर वापस आ गया है। डॉक्टरों ने उसकी बहुत अच्छी तरह देखभाल की।’’ सुखदीप की देखभाल करने वाला नर्सिंग स्टाफ भी उसे घर जाते देखकर खुश था। पीआईएमएस में एक नर्स रूबी ने कहा, ‘‘हमने बच्चे की बहुत अच्छी तरह देखभाल की। एक शिशु को इतनी पीड़ा से गुजरते देखना बहुत मुश्किल था।’’ उन्होंने कहा कि सुखदीप को चम्मच से दूध पिलाया जाता था क्योंकि उसकी मां साथ नहीं थी।

सुखदीप का इलाज करने वाले बाल चिकित्सक डॉ. जतींद्र सिंह ने कहा कि शिशु को जब भर्ती कराया गया तो उसे बहुत तेज बुखार था और दौरे पड़ रहे थे। उन्होंने बताया कि नवजात का मामला हमारे लिए बहुत चुनौतीपूर्ण था। इससे भी ज्यादा कठिन उसके माता-पिता का परामर्श करना था लेकिन उन्होंने मामले की गंभीरता को समझा और बच्चे के इलाज में पूरा सहयोग दिया। 

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