नयी दिल्ली: आकाश मिसाइल के एडवांस वर्जन का ओडिशा के चांदीपुर से सफलतापूर्वक परीक्षण किया गया। अधिकारियों ने बताया कि ‘आकाश प्राइम’ नामक मिसाइल ने अपनी पहली परीक्षण उड़ान में दुश्मन के विमान की नकल के रूप में एक मानवरहित हवाई लक्ष्य को सटीकता से भेदा। उन्होंने बताया कि यह परीक्षण शाम साढ़े चार बजे किया गया। एक अधिकारी ने कहा, “वर्तमान आकाश प्रणाली की तुलना में आकाश प्राइम में सटीकता के लिए आर एफ का पता लगाने की स्वदेशी तकनीक लगी है। अन्य सुधार के चलते भी ऊंचाई पर कम तापमान वाले वातावरण में यह भरोसेमंद प्रदर्शन कर सकती है।”
रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन (डीआरडीओ), भारतीय सेना, भारतीय वायु सेना और अन्य हितधारकों को आकाश प्राइम के सफलतापूर्वक परीक्षण के लिए बधाई दी। उन्होंने कहा कि सफल परीक्षण से यह सिद्ध होता है कि डीआरडीओ विश्व स्तरीय मिसाइल प्रणाली का विकास करने में सक्षम है।
डीआरडीओ के अध्यक्ष जी. सतीश रेड्डी ने भी मिसाइल का परीक्षण करने वाली टीम को बधाई दी। उन्होंने कहा कि आकाश प्राइम प्रणाली से भारतीय सेना और भारतीय वायु सेना का मनोबल और ऊँचा होगा। कई रक्षा विश्लेषकों के अनुसार, आकाश प्राइम वास्तव में आकाश Mk1S को फिर से री-डिजाइन करके तैयार किया गया है, जिसका भारतीय सेना द्वारा पांच बार परीक्षण किया जा चुका है।
आकाश प्राइम अपने लक्ष्य को अधिक सटीक तरीके से भेदने में सक्षम है। कुछ रिपोर्ट्स के मुताबिक आकाश प्राइम में ऊंचाई वाले विषम जलवायु परिस्थितियों से निपटने के लिए रडार और ट्रैकिंग के साथ ही लॉन्च सिस्टम के लिए कई अतिरिक्त विशेषताएं मौजूद हैं।
आकाश प्राइम में -20 डिग्री सेल्सियस से 60 डिग्री सेल्सियस पर काम करने वाली बैटरियों की सुविधा होगी, जो उन्हें ठंडे मौसम की स्थिति में उपयोग के लिए व्यावहारिक बनाती है जहां वायु रक्षा प्रणाली को लंबी अवधि के लिए विपरीत जलवायु में तैनात किया जाता है जो आमतौर पर जम्मू-कश्मीर और लद्दाख में सर्दियों में कुछ ऊंचाई वाले क्षेत्रों में औसत दैनिक न्यूनतम तापमान होता है।
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