स्वतंत्रता के 75 वर्ष पूरा होने के समय बनकर तैयार होगा नया संसद भवन, 892 करोड़ रुपए आएगी लागत
लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने बताया कि संसद भवन के नई बिल्डिंग के निर्माण में लगभग 892 करोड़ रूपए का खर्ज आएगा। नई इमारत का निर्माण 21 महीने में पूरा करने का लक्ष्य रखा गया है।
नई दिल्ली। देश को स्वतंत्र हुए जब 75 साल पूरे होंगे तो उस मौके पर देश को नया संसद भवन मिलेगा। शुक्रवार को लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने इसके बारे में जानकारी दी, उन्होंने बताया कि संसद भवन के नई बिल्डिंग के निर्माण में लगभग 892 करोड़ रूपए का खर्ज आएगा। नई इमारत का निर्माण 21 महीने में पूरा करने का लक्ष्य रखा गया है। स्वतंत्रता के 75 वर्ष पूरा होने के मौके पर संसद भवन की नई इमारत मिलने की उम्मीद है। संसद भवन की मौजूदा इमारत लगभग 8838 वर्ग मीटर में फैली हुई है जबकि नया भवन 8822 वर्ग मीटर में बनाया जाना प्रस्तावित है।
मौजूदा संसद भवन में स्थान के अभाव और भविष्य में लोकसभा सीटों की संख्या में बढ़ोतरी की संभावना के कारण नए संसद भवन तैयार किया जा रहा है। आवास एवं शहरी विकास मंत्री हरदीप सिंह पुरी ने संसद भवन, एकीकृत केन्द्रीय सचिवालय और सेंट्रल विस्टा के पुनर्विकास से जुड़ी सरकार की महत्वाकांक्षी योजना के बारे में पिछले सप्ताह राज्यसभा में बताया कि मौजूदा संसद भवन में जगह की भारी कमी और इस इमारत में अभी जो स्थान उपलब्ध है उसके जरूरत से ज्यादा उपयोग के कारण नयी इमारत की आवश्यकता महसूस की जा रही है।
पुरी ने राज्यसभा में एक सवाल के लिखित जवाब में बताया था कि इस योजना के तहत नये संसद भवन और एकीकृत केन्द्रीय सचिवालय के निर्माण के अलावा सेंट्रल विस्टा के पुनर्विकास की योजना के प्रस्ताव को मंजूरी दी गयी है। उन्होंने नये भवन की जरूरत के बारे में बताया कि संसद भवन का निर्माण कार्य 1921 में आरंभ हुआ था और 1927 से इस इमारत में संसद का कामकाज हो रहा है। उन्होंने कहा, ‘‘वर्षों से संसदीय कार्यकलापों, वहां कार्य करने वाले लोगों और आगंतुकों की संख्या में कई गुणा वृद्धि हुई है। अत: अब इस भवन में जगह की भारी कमी एवं उपलब्ध स्थान का आवश्यकता से अधिक उपयोग नजर आने लगा है।’’
पुरी ने नये संसद भवन की जरूरत महसूस होने के पीछे दूसरी वजह लोकसभा सीटों की संख्या में संभावित बदलाव को बताया है। उन्होंने कहा, ‘‘निर्वाचन क्षेत्रों का पुनर्गठन होने से, लोकसभा सीटों के भी भविष्य में बढ़ने की संभावना है और मौजूदा भवन में अतिरिक्त सदस्यों के बैठने के लिये कोई स्थान नहीं है। साथ ही नवनिर्मित संसदीय सौंध एवं पुस्तकालय भवन में भी अतिरिक्त कार्यालय स्थान आवश्यकताओं की पूर्ति हेतु अपर्याप्त है।’’ उन्होंने विभिन्न केन्द्रीय मंत्रालयों के लिए और सेंट्रल विस्टा क्षेत्र में पार्किंग सहित अन्य सुविधाओं के लिए जगह की कमी को एकीकृत केन्द्रीय सचिवालय के निर्माण एवं सेंट्रल विस्टा के पुनर्विकास को जरूरी बताया है।
उल्लेखनीय है कि राष्ट्रपति भवन से लेकर इंडिया गेट तक तीन वर्ग किमी के क्षेत्र में मौजूद इमारतें एवं उद्यान सेंट्रल विस्टा के अंतर्गत आते हैं। पुरी ने बताया कि केन्द्रीय सचिवालय के अंतर्गत विभिन्न मंत्रालय कृषि भवन सहित 47 भवनों से संचालित हैं। उन्होंने मंत्रालय के संपदा निदेशालय के आंकड़ों के हवाले से बताया कि सेंट्रल विस्टा क्षेत्र में लगभग 3.8 लाख वर्ग मीटर में कार्यालयी स्थान की कमी है, इस कारण से केन्द्रीय मंत्रालयों और विभागों के लिये किराए पर स्थान उपलब्ध कराना पड़ता है। उन्होंने इस परियोजना के अनुमानित व्यय के बारे में बताया कि संपूर्ण योजना की विस्तृत डिजायन एवं ड्राइंग तैयार की जा रही है। इसे अंतिम रूप दिए जाने के बाद ही इसकी अनुमानित लागत का निर्धारण हो सकेगा।