नन्ही गौरी को मिली नई ज़िन्दगी
देश में 'बेटी बचाओ' अभियान का नारा भले ही ज़ोर शोर से दिया जा रहा हो, लेकिन आज भी मासूम बच्चियों के दुश्मन इन्हें नालों में फेंक रहे है। ऐसी ही एक मासूम बेटी की रोंगटे खड़ी कर देने वाली कहानी आपको बता रहे है।
ऊधम सिंह नगर: देश में 'बेटी बचाओ' अभियान का नारा भले ही ज़ोर शोर से दिया जा रहा हो, लेकिन आज भी मासूम बच्चियों के दुश्मन इन्हें नालों में फेंक रहे है। ऐसी ही एक मासूम बेटी की रोंगटे खड़ी कर देने वाली कहानी आपको बता रहे है।
वेल्टीलेटर पर दिख रही इस मासूम सुन्दर लड़की की तस्वीरें ऊधम सिंह नगर जिले के काशीपुर की है, जिसे कुछ दिन पहले 4 अगस्त को जसपुर बस अड्डे के पास बेटियो के घृणा करने वाले दुश्मनो ने ह्त्या के इरादे से नाले में फैक दिया था।
कुछ घंटे की जन्मी इस मासूम की किलकारियां भी हमेशा के लिए शांत हो जाती। लेकिन इसकी किस्मत अच्छी थी कि मासूम नाली में भूख की तड़प से ज़ोर ज़ोर से रोने लगी। जिस मां को इसे दूध पिलाना चाहिए था उसी ने अपनी ममता को छोड़ लाडली को मारने के लिए नाले में फिकवा दिया था।
नाली में पड़ी बच्ची की चीखे सुनकर आसपास के लोग यह मंज़र देख कर लरज़ गए। उन्होंने इस मासूम को नाले से निकाला और पुलिस की मदद से काशीपुर के कृष्णा नर्सिंग होम में भर्ती करवा दिया। जहां डाक्टरो और नर्सो की देख रेख में बच्ची की ज़िन्दगी बच गई। अब अस्पताल के डाक्टरो की दुलारी इस लावारिस बेटी का नाम 'गौरी' रख दिया है।
गौरी का इलाज करने वाले कृष्णा डाक्टर आनंद मोहन का कहना है मासूम गौरी कुछ ही दिनों में अस्पताल के स्टाफ की दुलारी बन गई थी। हम चाह्ते है कि उसकी नई ज़िन्दगी खुशियो से सरोबार हो और ऊंचाईयों को छुए।
एन.जी.ओ चलाने वाली रजनीश बत्रा इस बच्ची देहरादून शिशु सदन छोड आई है। लेकिन वो उसके सुन्दर भविष्य के लिये उसे एडाप्ट कराने के लिये प्रयास कर रही है। रजनीश बत्रा का कहना है कि उन्होंने अपनी पूरी ज़िन्दगी ऐसे ही बच्चो के लिये समर्पित की है, जो या तो लावारिस है या गुमशुदा है। उन्हें ऐसे बच्चो की मदद करके बहुत सुकून मिलता है।
ऐसे ही गौरी भी अब लावारिस नहीं रहेगी इसे अब काशीपुर के कृष्णा नर्सिंग होम से शिशु निकेतन देहरादून भेज दिया गया है। अब इस मासूम की ज़िन्दगी नई उड़ान होगी, जहां यह नई ज़िन्दगी जियेगी और इसे एडॉप्ट करने वाले नये मम्मी-पापा मिल भी मिल जाएंगे।
अगर गौरी बोल पाती तो शायद वो अपनी मां को यही सन्देश देती'' मुझे ज़िन्दगी देने वाली 'ओ मेरी मां' तुम कहा हो? मुझे अपनी कोख में रख कर तुमने मुझे ज़िन्दगी क्यों दी? क्या मेरा इतना गुनाह था कि मैं एक बेटी थी।
मां तुम भी तो किसी की बेटी हो। फिर बेटियो से इतनी नफरत क्यों? बोलो मां मेरा कसूर क्या था, जन्म के चन्द लम्हे भी तुमने अपने आंचल में नहीं गुज़ारने दिए। मां की ममता को मां के दुलार को नहीं समझने दिया। अब मुझे बेटी कह कर कौन बुलायेगा ममता के फूल कौन बिखेरेगा।
ओ मेरी मां बेटियो से प्यार करना सीखो, मां तुम ने जो कुछ भी गुनाह किया मुझे कोई गिला नहीं है समाज के डर से या मेरे बेटी होने की वजह से। लेकिन मां मैं आज भी आपसे बहुत प्यार करती हूं, आप भले ही बेटियो से नफरत करती रहो। लेकिन मैं आपसे नफरत नहीं कर पाऊंगी क्योंकि आपने ही मुझे लिखा है, मुझे ज़िन्दगी दी है, अपनी कोख में 9 महीने पाला है। मम्मा मैं जहां भी रहूंगी बेटियो का नाम रोशन करुंगी। ममता का आंचल बिखेरना सिखाऊंगी, मुझे भुला मत देना .....तुम्हारी लावारिस बेटी।''
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