नयी दिल्ली: वैज्ञानिकों ने एक ऐसी पूर्वानुमान प्रणाली विकसित करने का दावा किया है जो दिल्लीवसियों तथा उत्तर भारत के भारी प्रदूषण वाले क्षेत्रों में रहने वाले लोगों को हानिकारक वायु के संपर्क में आने से बचने की चेतावनी दे सकता है। यह पूर्वानुमान प्रणाली अमेरिका के नेशनल सेंटर फॉर एटमॉस्फियरिक रिसर्च (एनसीएआर) ने पुणे स्थित इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ ट्रॉपिकल मेट्रोलॉजी (आईआईटएम)के साथ मिल कर विकसित की है। यह प्रणाली हवा में घुले अतिसूक्ष्म कण पीएम 2.5 के संबंध में 72 घंटे का पूर्वानुमान व्यक्त कर सकती है।
एनसीएआर ने एक बयान जारी कर कहा कि हवा में घुले सूक्ष्म कण बेहद चिंता का कारण है क्योंकि ये इतने छोटे हैं कि आसानी से फेफड़ों के अंदर तक चले जाते हैं यहां तक कि रक्तधारा तक भी पहुंच जाते हैं और श्वसन तंत्र के साथ ही हृदय संबंधी दिक्कतें भी पैदा कर सकते हैं। इस शोध में शामिल राजेश कुमार कहते हैं,‘‘इस प्रकार की पूर्वानुमान प्रणाली विकसित करके हम जनता को आने वाले वक्त में वायु की गुणवत्ता खराब होने के बारे में सटीक तथा सही वक्त में जानकारी दे सकते हैं।’’
उन्होंने एक बयान में कहा, ‘‘जनता को सूचना देना महत्वपूर्ण है ताकि वे वायु प्रदूषकों के संपर्क में आने से बचने की योजना पहले ही तैयार कर ले जो उनके स्वास्थ्य को नुकसान पहुंचा सकते हैं।’’ शोधकर्ताओं का कहना है कि यह प्रणाली प्रदूषकों की माप, कम्प्यूटर मॉडलिंग तथा सांख्यिकीय तकनीक का इस्तेमाल करती है। हर 24 घंटे में पूर्वानुमान का अद्यतन किया जाता है।
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