नई दिल्ली: लोकसभा में नागरिकता संशोधन बिल पर चर्चा का जवाब देते हुए गृह मंत्री अमित शाह ने कहा कि भारत के मुसलमानों को डरने की जरूरत नहीं है लेकिन रोहिंग्या को हम कभी स्वीकार नहीं करेंगे। उन्होंने कहा कि इस बिल को लेकर भ्रांतियां फैलाई जा रही है यह बिल न असंवैधानिक है और न ही अल्पसंख्यकों के खिलाफ है। उन्होंने कहा कि देश का धर्म के आधार पर विभाजन नहीं होता तो यह बिल लेकर मुझे नहीं आना पड़ता। विभाजन के समय दोनों ओर से शरणार्थियों का आना-जाना जारी रहा। जिन्होंने विभाजन की यातना को झेला है वो बता सकते हैं। 1950 नेहरू लियाकत समझौता हुआ उस समझौते के तहत निश्चित किया गया कि दोनों देश अपने-अपने अल्पसंख्यकों का ध्यान रखेंगे। दोनों देशों की सरकारों ने एक-दूसरे को विश्वास दिलाया है अल्पसंख्यकों का ध्यान रखा।
अमित शाह ने पाकिस्तान, अफगानिस्तान और बांग्लादेश में अल्पसंख्यकों की आबादी का जिक्र करते हुए कि आखिर कहां गए इन देशों के हिंदू, सिख और ईसाई अल्पसंख्यक। उन्होंने कहा कि पाकिस्तान में 23 फीसदी हिंदुओं की आबादी थी जो घटकर 3 फीसदी हो गई। कहां गए हिंदू? उन्होंने भारत का जिक्र करते हुए कहा कि भारत में 1951 में 9 फीसदी मुस्लिम थे औज 14 फीसदी हो गए। हमने अल्पसंख्यकों के साथ कभी धर्म के आधार भेदभाव नहीं किया।
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