नई दिल्ली: दिल्ली हाई कोर्ट ने शुक्रवार को नगर निकायों और पुलिस से कहा कि अवैध अतिक्रमण के खिलाफ ‘निर्णायक’ कार्रवाई करने की आवश्यकता है। अदालत ने यह टिप्पणी फुटपाथ पर दुकान चलाने की अनुमति देने के प्रचलन पर गौर करते हुए की। कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश गीता मित्तल और न्यायमूर्ति सी. हरिशंकर की पीठ ने यह टिप्पणी दक्षिण दिल्ली की एक रेजिडेन्ट वेलफेयर असोसिएशन (RWA) की जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए की। इस जनहित याचिका में फुटपाथ से अतिक्रमण को हटाने का निर्देश देने का अनुरोध किया गया है।
याचिकाकर्ता ने आरोप लगाया कि फुटपाथ पर अवैध दुकानें स्ट्रीट वेंडर ऐक्ट के तहत प्रतिबंधित क्षेत्र में तंबाकू उत्पाद बेच रही हैं। दक्षिण दिल्ली नगर निगम (SDMC) के वकील ने दावा किया कि वह हर महीने अतिक्रमणकारियों के खिलाफ कार्रवाई करती है, लेकिन वे फिर से उन स्थानों पर लौट आते हैं। SDMC ने अदालत को यह भी जानकारी दी कि पुलिस उनके खिलाफ हर महीने कार्रवाई करती है। यह सुनकर पीठ ने कहा कि अदालत इन सबको देखने के लिए यहां नहीं है और ‘अगर अगले महीने कार्रवाई की आवश्यकता है तो हम देखेंगे कि हम उसके बाद क्या करेंगे।’ अदालत ने कहा, ‘हम क्रिया और प्रतिक्रिया नहीं चाहते हैं। हम निर्णायक कार्रवाई चाहते हैं।’
पीठ ने अपनी मौखिक टिप्पणी में किसी भी एजेंसी का नाम लिए बिना कहा कि ‘फुटपाथ पर पैसे दिए जाते हैं, जिसकी वजह से ये अतिक्रमणकारी वापस आ जाते हैं।’ अदालत ने जनहित याचिका पर केंद्र, दिल्ली सरकार, SDMC और दिल्ली पुलिस को नोटिस जारी किए। अदालत ने मामले में अब 16 अप्रैल को सुनवाई करने का निश्चय किया है। इस दौरान अधिकारी अदालत के समक्ष अपनी कार्रवाई रिपोर्ट दाखिल करेंगे।
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