पिछले 12 सालों में 1,14,000 लोगों की जान बचा चुका है NDRF
राष्ट्रीय आपदा मोचन बल (NDRF) ने अपनी स्थापना के बाद से 12 सालों में विभिन्न आपदाओं में घिरे 1,14,492 लोगों की जानें बचाई है।
नई दिल्ली: राष्ट्रीय आपदा मोचन बल (NDRF) ने अपनी स्थापना के बाद से 12 सालों में विभिन्न आपदाओं में घिरे 1,14,492 लोगों की जानें बचाई है। इसने बाढ़ एवं अन्य आपदाओं से घिरे 5,52,857 लोगों को सुरक्षित स्थानों पर पहुंचाया। NDRF आज आधुनिक युग की हर तरह की आपदाओं में बचाव कार्य करने में सक्षम है। NDRF के महानिदेशक संजय कुमार ने कहा, ‘NDRF आज देश में एक विशेषज्ञ बल बन चुका है। आणविक और रासायनिक आपदाओं समेत आधुनिक युग की हर तरह की चुनौतियों से निपटने में यह सक्षम है।’
कुमार ने कहा, ‘इसके लिए NDRF की सभी 12 बटालियनों में नौ विशेषज्ञों के दल शामिल किए गए हैं। इन विशेषज्ञों को विदेश में उच्चस्तर का प्रशिक्षण मिला है और ये गहरे समुद्र और आग की घटनाओं को छोड़कर हर तरह की चुनौतियों के बीच बचाव कार्य में सक्षम हैं।’ हिमाचल प्रदेश कैडर के आईपीएस अधिकारी कुमार ने कहा, ‘अभी मॉनसून का सीजन है, इसके मद्देनजर 26 राज्यों में 57 स्थानों पर 74 टीमें तैनात हैं, जो कहीं भी आपदा की सूचना मिलने पर कम से कम समय में पहुंचकर राहत कार्य चला सकती हैं।’
पिछले दो साल से NDRF की कमान संभाल रहे कुमार ने कहा, ‘यह एक ह्यूमेनिटेरियन फोर्स है। इसने 2006 में अपनी स्थापना से लेकर इस साल जून तक 2,095 अभियान चलाए हैं, जिनमें आपदाओं में घिरे 1,14,492 लोगों की जानें बचाई है, बाढ़ एवं अन्य आपदाओं से घिरे 5,52,857 लोगों को सुरक्षित स्थानों पर पहुंचाया गया है और 3,352 शवों को निकाला है। आमतौर पर NDRF का काम आपदा आने के बाद शुरू होता है, लेकिन हमने इस धारणा को बदला है और आपदाओं से निपटने में लोगों की जागरूकता के महत्व को आमजन तक लेकर गए हैं। किसी भी आपदा से निपटने में स्थानीय निवासियों की भूमिका अहम होती है, क्योंकि वे मौके पर मौजूद होते हैं और उन्हें स्थान विशेष की भौगोलिक जानकारी होती है।’
उन्होंने कहा, ‘इसे ध्यान में रखते हुए शांतिकाल में NDRF ने 5,268 सामुदायिक जागरूकता कार्यक्रम किया, जिससे 51,75,537 लोग लाभान्वित हुए। स्कूल सुरक्षा कार्यक्रम के तहत 1524 कार्यक्रम किए गए, जिसमें 6,44,225 छात्र-छात्राओं ने आपदा आने की स्थिति में इससे निपटने के गुर सीखे। इसी तरह 1,687 आपदा परिचय कार्यक्रम आयोजित किए गए, जिसमें लोगों को जागरूक किया गया। इसके अलावा 1,714 कृत्रिम अभ्यास 'मॉक एक्सरसाइज' आयोजित किए गए, जिसमें 8,07,307 लोगों ने आपदा से निपटने के गुर सीखे।’ उन्होंने कहा कि आपदाओं को रोका नहीं जा सकता, लेकिन उनसे पैदा होने वाले संकट को रोका जा सकता है।
कुमार ने कहा, ‘NDRF की टीम पूरी तरह आत्मनिर्भर है। वह किसी आकस्मिक आपदा की सूचना मिलने के 30 मिनट के भीतर घटनास्थल के लिए रवाना हो सकती है। हमारे पास त्वरित कार्रवाई करने के लिए विश्वस्तरीय उपकरण हैं। हम ड्रोन, यूएवी जैसी प्रौद्योगिकी और ट्विटर, व्हाट्सएप और फेसबुक जैसे सोशल मीडिया के मामले में भी लक्ष्य को साधने केप्रति पूरी तरह से तत्पर हैं। भारत में भूकंप, बाढ़ और भवन गिरने की घटनाएं अक्सर होती रहती हैं। मेरा मानना है कि पूरे देश को मानव-जनित और प्राकृतिक आपदाओं से निपटने के लिए प्रशिक्षित करने की जरूरत है। आपदाओं से निपटने के लिए देश में सुसंगत और संगठित आपदा मोचन बनाने की जरूरत है।’
उल्लेखनीय है कि NDRF का गठन 2006 में किया गया था। इसकी 12 बटालियनों में प्रत्येक में 1,149 कर्मी हैं और सभी प्रकार की आपदाओं से निपटने में सबसे आगे हैं। इन बटालियनों को देशभर में रणनीतिक ठिकानों पर तैनात किया गया है। साथ ही, अन्य शहरों में 28 क्षेत्रीय केंद्र हैं। प्रत्येक बटालियन में 45 जवान समेत 18 विशेषज्ञों की टीम है। NDRF के पास विभिन्न आपदाओं से निपटने के लिए अंतर्राष्ट्रीय मानकों के 310 प्रकार के उपकरण हैं।