पुणे। भारतीय नौसेना प्रमुख एडमिरल करमबीर सिंह ने देश के समक्ष समुद्री चुनौतियों का उल्लेख करते हुए कहा कि नौसेना को अपनी क्षमता निर्माण के लिए एक सुनिश्चित बजटीय समर्थन की आवश्यकता है। उन्होंने कहा कि 2012-13 में रक्षा बजट में नौसेना का आवंटन 18 प्रतिशत था, जो अब घटकर 13 प्रतिशत हो गया है। इससे भविष्य की योजना और क्षमता विकास प्रभावित हो रहा है।
नौसेना प्रमुख ने रक्षा कूटनीति कोष स्थापित करने का भी आह्वान किया। उन्होंने कहा कि इस तरह से हमें 2024 तक पांच ट्रिलियन डॉलर की अर्थव्यवस्था बनने जा रहे देश को आश्वस्त करने में मुश्किल हो रही है और समुद्री मोर्चे पर प्रोत्साहन की जरूरत है। हिंद महासागर-बदलता आयाम-भारत के लिए समुद्री सुरक्षा से जुड़े विषय पर एडमिरल सिंह ने अपनी राय व्यक्त की।
पूर्व सेना प्रमुख दिवंगत जनरल बी सी जोशी की याद में व्याख्यान का आयोजन किया गया था। उन्होंने कहा, ‘‘नौसेना की चुनौतियों में क्षमता निर्माण के लिए एक दीर्घकालिक बजटीय समर्थन की जरूरत शामिल है। यदि आप एक जहाज का निर्माण करना चाहते हैं, तो इसमें कुछ साल लगेंगे और इसके लिए हमें बजटीय सहायता का आश्वासन दिया जाना चाहिए।
पत्रकारों के साथ एक संक्षिप्त बातचीत के दौरान जब उनसे पूछा गया कि क्या किसी परियोजना को कम आवंटन के कारण रोका गया, इस पर उन्होंने कहा, बजटीय आबंटन की वजह से हमें अपनी खरीद योजना में थोड़ा सुधार करना पड़ा है। हां, इसने हमें कुछ हद तक सीमित कर दिया है।
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