कैफे कॉफी डे के मालिक ने क्यों उठाया यह खौफनाक कदम? पूर्व विदेश मंत्री के दामाद की मौत बनी मिस्ट्री
सर्च ऑपरेशन में पुलिस को एक मछुआरा मिला जिसने दावा किया कि उसने सोमवार शाम साढ़े 5 बजे एक शख्स को पुल से नदी में कूदते देखा। उन्होंने शख्स को बचाने की कोशिश भी की, लेकिन वो कामयाब नहीं हो सका।
नई दिल्ली: रिटेल श्रंखला कैफे कॉफी डे (सीसीडी) के संस्थापक और कर्नाटक के पूर्व मुख्यमंत्री एस.एम. कृष्णा के सबसे बड़े दामाद वीजी सिद्धार्थ सोमवार की शाम से रहस्यमयी तरीके से लापता थे। आखिरी बार वो मंगलुरू की नेत्रावती नदी के पास देखे गए थे इसीलिए दरिया में सबसे बड़ा तलाशी अभियान चलाया गया लेकिन करीब 35 घंटे से चल रही वीजी सिद्धार्थ की मिसिंग मिस्ट्री का आखिरकार दर्दनाक अंत हो गया। आज सुबह नदी से उनकी डेड बॉडी मिली। इसी के साथ देश में कैफे कॉफी डे चेन को स्थापित करने वाले वीजी सिद्धार्थ की कामयाब कहानी का पटाक्षेप हो गया।
दरअसल सिद्धार्थ सोमवार को बिजनेस ट्रिप की बात कहकर घर से निकले थे। उसके बाद से ही वो लापता थे। तलाशी में लगी पुलिस टीम को वीजी सिद्धार्थ का पहला सुराग बेंगलुरू-मेंगलुरु हाईवे के टोल प्लाजा पर मिला। उनके इनोवा कार की तस्वीर सीसीटीवी में कैद हुई थी। वो सोमवार शाम 5 बजकर 28 मिनट पर आखिरी बार देखे गए थे। यहां से सिद्धार्थ मेंगलुरू के पास नेत्रवती नदी पर बने उल्लाल ब्रिज पर पहुंचे। सिद्धार्थ ने ड्राइवर को उतारकर ब्रिज के दूसरी ओर जाने को कहा।
ड्राइवर करीब डेढ़ घंटे तक सिद्धार्थ का इंतजार करता रहा। इस दौरान उसने एक तेज़ आवाज सुनी। जब उसने पीछे मुड़कर देखा तो सिद्धार्थ वहां नहीं थे। ड्राइवर ने सिद्धार्थ को कॉल किया, तो उनका मोबाइल ऑफ था। इसपर उसने बेंगलुरु में सिद्धार्थ के बेटे को फोन किया। सिद्धार्थ के परिवार ने पुलिस अधिकारियों को इस बात की खबर दी और तभी से सिद्धार्थ की तलाश हो रही थी।
सर्च ऑपरेशन में पुलिस को एक मछुआरा मिला जिसने दावा किया कि उसने सोमवार शाम साढ़े 5 बजे एक शख्स को पुल से नदी में कूदते देखा। उन्होंने शख्स को बचाने की कोशिश भी की, लेकिन वो कामयाब नहीं हो सका। मछुआरे ने बताया, “मैंने एक शख्स को ब्रिज से नदी में छलांग लगाते देखा। मैं उस शख्स को नही जानता। शख्स के नदी में कूदने के बाद मैं उसे बचाने गया, लेकिन तब तक वो काफी गहराई तक पहुंच चुका था। हमने नाव के जरिए शख्स को बचाने की कोशिश की, लेकिन सारी कोशिश बेकार साबित हुई।“
बताया जा रहा है कि सिद्धार्थ पिछले कई दिनों से अपने बिजनेस को लेकर परेशान चल रहे थे। उन्होंने 27 जुलाई को अपने कर्मचारियों के नाम एक चिट्ठी लिखी थी। इसमें कर्जदाताओं और प्राइवेट इक्विटी पार्टनर के दबाव का ज़िक्र है। उन्होंने लिखा था कि बतौर कारोबारी उनका बिजनेस मॉडल फेल हो गया। लेटर में सिद्धार्थ ने लिखा, “बेहतर कोशिशों के बावजूद मैं मुनाफे वाला बिजनेस मॉडल तैयार करने में नाकाम रहा।“
उन्होंने आगे लिखा, “मैंने लंबे समय तक संघर्ष किया, लेकिन अब और दबाव नहीं झेल सकता। एक प्राइवेट इक्विटी पार्टनर 6 महीने पुराने ट्रांजेक्शन से जुड़े मामले में शेयर बायबैक करने का दबाव बना रहा है। मैंने दोस्त से बड़ी रकम उधार लेकर ट्रांजेक्शन का एक हिस्सा पूरा किया था। दूसरे कर्जदाताओं के भारी दबाव से मैं टूट चुका हूं।“
इसी लेटर में सिद्धार्थ ने ये भी लिखा कि कंपनी जिस मुश्किल में घिरी है, उसके लिए वो खुद ही जिम्मेदार हैं। उन्होंने लिखा, “मेरी विनती है कि आप सभी मजबूती से नए मैनेजमेंट के साथ बिजनेस को आगे बढ़ाते रहें। सभी गलतियों के लिए मैं जिम्मेदार हूं। सभी वित्तीय लेनदेन के लिए मैं जिम्मेदार हूं। मेरी टीम, ऑडिटर्स और सीनियर मैनेजमेंट को मेरे ट्रांजेक्शंस के बारे में जानकारी नहीं है।“
उन्होंने आगे लिखा, “कानून को सिर्फ मुझे ज़िम्मेदार ठहराना चाहिए। मैंने परिवार या किसी दूसरे को इस बारे में नहीं बताया था। मेरा इरादा किसी को गुमराह या धोखा देने का नहीं था। एक कारोबारी के तौर पर मैं नाकाम रहा। उम्मीद है कि एक दिन आप समझेंगे। मुझे माफ कर दीजिए। हमारी संपत्तियां हमारी देनदारी से ज्यादा हैं। इनसे सभी का बकाया चुका सकते हैं।“
सिद्धार्थ ने चिट्ठी में इनकम टैक्स छापे से पड़े दबाव का जिक्र किया लेकिन इनकम टैक्स डिपार्टमेंट ने एक प्रेस रिलीज जारी कर कहा है कि सिद्धार्थ के खिलाफ जांच नियमों के मुताबिक ही हो रही है। उनके खिलाफ हवाला ट्रांजेक्शन और टैक्स चोरी का मामला था जिसके सुबूत भी सामने आए थे। उन्होंने जांच के दौरान इस बात को कुबूल भी किया था। शक है कि इसी परेशानी की वजह से सिद्धार्थ ने खौफनाक कदम उठाया।