जयपुर: अजमेर दरगाह आध्यात्मिक प्रमुख दीवान सैयद जैनुल आबेदीन अली खान ने नागरिकता संशोधन कानून से उपजे विवाद पर कहा कि यह कानून किसी भी तरह से इस देश के मुसलामनों के विरुद्ध नहीं है और इस क़ानून से देश में रहने वाले किसी भी मुसलमान को डरने की ज़रूरत नहीं है, ना ही उन की नागरिकता को किसी भी प्रकार का ख़तरा है।
हजरत ख्वाजा मोइनुद्दीन हसन चिशती दरगाह के वंशज एवं वंशानुगत सज्जादानशीन खान ने एक बयान में कहा कि केन्द्र सरकार ने जिस नागरिकता संशोधन विधेयक को पारित कर उसे क़ानूनी अमलीजामा पहनाया है वो किसी भी तरह से इस देश के मुसलामनों के विरुद्ध नहीं है और इस क़ानून से भारत में रहने वाले किसी भी मुसलमान को डरने की ज़रूरत नहीं है। इसके साथ ही उन्होंने कहा, ‘‘परंतु देश में इस कानून को लेकर उपजे विवाद को और देश के मुस्लिमों में फैलाए जा रहे डर और भ्रम को दूर करने की आवश्यकता है।’’
उन्होंने कहा कि देश के मुसलमानों की भावनाओं का सम्मान करते हुए, जनभावनाओं को देखते हुए केन्द्र सरकार को एक उच्चस्तरीय कमेटी का गठन करना चाहिए। यह कमेटी पूरे देश में लोगों से उनकी बात सुने, इस कानून के बारे में उनके डर, उनकी शिकायत को सुनकर एक तथ्यात्मक रिपोर्ट केन्द्र सरकार को सौंपे और सब लोगों की शंका और डर को दूर करे।
दरगाह दीवान ने जामिया मिल्लिया की घटना पर दुःख व्यक्त करते हुए केन्द्र सरकार से पुलिस को किसी भी शिक्षण संस्थान में बल इस्तेमाल ना करने के बारे में दिशानिर्देश जारी करने की अपील की है। उन्होंने छात्रों से किसी भी स्थिति में क़ानून अपने हाथ में ना लेने की अपील की है।
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