नई दिल्ली: बिहार के मुंगेर में 30 घंटे से ज्यादा वक्त के बाद बोरवेल से निकली सना को पटना के पीएमसीएच भेजने के फैसले की समीक्षा के बाद इसे तत्काल रोक दिया गया है। अब डॉक्टरों ने तय किया है कि मुंगेर शहर में ही एक निजी चाइल्ड स्पेशलिस्ट के सिटी स्कैन सेंटर में उसकी जांच की जाएगी। जांच की रिपोर्ट के बाद ये तय किया जाएगा कि सना को पटना के पीएमसीएच रेफर करने की आवश्यकता है या नहीं। मुंगेर सदर अस्पताल में सिटी स्कैन की सुविधा नही है और ना ही यहां न्यूरोलॉजिस्ट हैं। फिलहाल चाइल्ड स्पेशलिस्ट ही सना की देखरेख कर रहे हैं। (Munger Rescue Operation: SDRF का वो जांबाज़ अधिकारी जिसने सना को सुरक्षित बाहर निकाला)
बता दें कि इससे पहले खबर आई थी कि सना बेहतर इलाज के लिये पटना के पीएमसीएच जायेगी। सना की हालत ठीक है लेकिन उसे बेहतर इलाज के लिये पटना भेजा रहा था। रेस्क्यू ऑपरेशन के बाद बाहर निकाली गई तीन साल की बच्ची के सिर में चोटें हैं और उसके चेहरे पर सूजन भी है। सना के बोरवेल से निकलते ही बुधवार की रात मुंगेर के सदर अस्पताल ले जाया गया था। डॉक्टरों की टीम ने उसकी जांच की थी और सामान्य पाया था। (Munger Rescue Operation : मासूम सना को रेस्क्यू टीम ने 31 घंटे बाद बोरवेल से सही सलामत बाहर निकाला)
घटनास्थल से अस्पताल तक ग्रीन कॉरीडोर बनाया गया था ताकि सना को तुरंत अस्पताल तक पहुंचाया जा सके। इस पूरे ऑपरेशन के दौरान सना लगातार अपनी मां से बात कर रही थी। सना की मां उसका हौसला बढ़ा रही थी और सना की मां जब कुछ बोलती थी तो सना उसका जवाब दे रही थी। सना की निगरानी के लिए जो सीसीसीटीवी लगाया गया था उसमें भी सना का हाथ हिलता हुआ दिखाई दे रहा था। वह बोरवेल में 42 फीट नीचे फंसी थी।
मासूम सना 100 फीट गहरे बोरवेल में गिरी थी और करीब 42 फीट की गहराई पर फंसी थी। सना का सिर्फ हाथ दिख रहा था जिसमें थोड़ी-थोड़ी देर पर हलचल हो रही थी। उसे सांस लेने में दिक्कत ना हो इसके लिए पाइप के जरिये ऑक्सीजन पहुंचाया जा रहा था।
रेस्क्यू ऑपरेशन चला रही सेना और एनडीआरएफ और एसडीआरएफ की टीम ने बोरवेल के सामानातंर गड्ढा खोदा। इसी गड्ढे से सुरंग बनाकर बचाव टीम बोरवेल तक पहुंची और बच्ची को सुरक्षित निकाला। मौके पर रेस्क्यू टीम के साथ डॉक्टर भी मौजूद रहे जो लगातार अंदर फंसी बच्ची की हर हरकत पर नजर रख रहे थे। उसे एक पाइप के ज़रिये ऑक्सीजन सप्लाई की जा रही थी।
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