कोलकाता: कलकत्ता उच्च न्यायालय ने कहा है कि अन्य आपराधिक गतिविधियों की जांच से पहले ‘‘वर्दीधारी अपराधियों’’ के खिलाफ कार्रवाई करना अधिक महत्वपूर्ण है। अदालत ने पश्चिम बंगाल के पुलिस महानिदेशक (डीजीपी) को जाली चेक के मामले में जांच अधिकारी के खिलाफ जांच करने के निर्देश दिये। एक अग्रिम जमानत याचिका पर सुनवाई करते हुए न्यायमूर्ति सानिब बनर्जी और न्यायमूर्ति अनिरुद्ध रॉय की एक खंडपीठ ने कहा कि जाली चेक के मामले में गिरफ्तार किये गये लोगों में से एक ने दावा किया है कि याचिकाकर्ता ने उसे एक सेवानिवृत्त बैंक प्रबंधक से मिलवाया था।
दावे के आधार पर याचिकाकर्ता को जांच अधिकारी ने पूछताछ के लिए बुलाया था। अदालत ने कहा कि यह जांच अधिकारी द्वारा उत्पीड़न या जबरन वसूली का मामला प्रतीत होता है और इस कथित अनुचित आचरण के लिए तत्काल उचित अनुशासनात्मक कार्रवाई की जानी चाहिए। पीठ ने बुधवार को सुनवाई के दौरान कहा, ‘‘अन्य आपराधिक गतिविधि की जांच करने से पहले ‘‘वर्दीधारी अपराधियों’’ के खिलाफ कार्रवाई करना अधिक महत्वपूर्ण है।’’ अदालत ने डीजीपी को उचित जांच करने का निर्देश दिया और कहा कि यदि आवश्यक तो इस जांच अधिकारी के खिलाफ उसके पूर्व में इसी तरह के आचरण को देखते हुए अनुशासनात्मक कार्रवाई शुरू की जानी चाहिए।
Latest India News