नई दिल्ली: संसद का मॉनसून सत्र इस साल बीते 18 साल में सबसे अधिक उपयोगी साबित हुआ। शुक्रवार को समाप्त हुए मॉनसून सत्र के दौरान संसद का कामकाज निर्धारित समय से अधिक देर तक चला और संसद में 2000 के बाद सबसे ज्यादा कामकाज हुआ। संसद के कामकाज पर नजर रखने वाला संगठन पीआरएस लैजिस्लेटिव के अनुसार, सत्र के दौरान लोकसभा और राज्यसभा में सबसे ज्यादा समय विधायी कार्यो पर दिया गया और 2004 के बाद यह दूसरा अवसर है, जब विधायी कार्यो को सांसदों ने शिद्दत के साथ अंजाम दिया।
पीआरएस लैजिस्लेटिव ने एक विज्ञप्ति में कहा, "लोकसभा के लिए मॉनसून सत्र 2000 के बाद सबसे अधिक उत्पादक रहा।" पीआरएस लैजिस्लेटिव के अनुसार, लोकसभा में निर्धारित घंटों के 110 फीसदी वक्त तक कार्यवाही चली, जबकि राज्यसभा में सत्र के लिए निर्धारित घंटों का 66 फीसदी समय सदन की कार्यवाही में बीता। पीआरएस ने कहा कि लोकसभा में 999 निजी सदस्य विधेयक पेश किए गए, जोकि 2000 के बाद सबसे ज्यादा है। सत्र के दौरान 20 विधेयक पेश किए गए, जिनमें से 11 पारित हुए।
पीआरएस लैजिस्लेटिव ने कहा कि 26 फीसदी विधेयक को लोकसभा ने संसदीय समिति के पास भेजा, जबकि पूर्व में लोकसभा ने 71 फीसदी विधेयक को समिति के पास भेजा था। पीआरएस ने कहा, "16वीं लोकसभा में कानून व न्याय मंत्री और स्वास्थ्य व परिवार कल्याण मंत्री ने सबसे ज्यादा सरकारी विधेयक पेश किए।" संगठन की ओर से जारी विज्ञप्ति के अनुसार, सत्र के दौरान मौजूदा लोकसभा में प्रश्नकाल भी सबसे उत्पादक रहा।
पीआरएस ने कहा, "लोकसभा में प्रश्नकाल के लिए निर्धारित समय का 84 फीसदी समय उपयोगी रहा, जबकि राज्यसभा में 68 फीसदी।" संगठन के अनुसार, लोकसभा और राज्यसभा में क्रमश: 50 फीसदी और 48 फीसदी समय विधायी कार्यो में बीता। संसद का मॉनसून सत्र 18 जुलाई को आरंभ हुआ और पूरे सत्र में संसद की 17 बैठकें हुईं। (IANS)
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