चीन का नाम लिए बगैर संघ प्रमुख मोहन भागवत ने कोरोना के खिलाफ लड़ाई में स्वदेशी अपनाने को कहा
मोहन भागवत ने कहा कि हम सभी को स्वदेशी का आचरण अपनाना होगा। स्वदेशी का उत्पादन गुणवत्ता का हो, कारीगर, उत्पादक सभी को यह सोचना होगा। समाज और देश को स्वदेशी को अपनाना होगा।
नई दिल्ली. राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) के नागपुर महानगर की ओर से प्रस्तावित बौद्धिक वर्ग को ऑनलाइन संबोधित करते हुए संघ प्रमुख मोहन भगवत ने रविवार को कहा कि देश में कोरोना का संकट बढ़ता जा रहा है, लेकिन सभी लोग घर में रहकर इस जंग को जीत सकते हैं। उन्होंने लोगों से लॉकडाउन और सोशल डिस्टेंसिंग का पालन करने तथा घर में रह कर ईश्वर से प्रार्थना करने को कहा।
मोहन भागवत ने कहा कि "कार्यक्रम करना अपना कार्य नहीं है, कार्य अपना कार्यक्रम है। सेवा का काम आज बदल गया है। सब काम देख रहे हैं और हौसला बढ़ा रहे हैं। दुनिया कोरोना से जूझ रही है। कोरोना से घर में ही रहकर जंग जीतना है।"
'हम सभी को स्वदेशी का आचरण अपनाना होगा'
उन्होंने कहा, "हम सभी को स्वदेशी का आचरण अपनाना होगा। स्वदेशी का उत्पादन गुणवत्ता का हो, कारीगर, उत्पादक सभी को यह सोचना होगा। समाज और देश को स्वदेशी को अपनाना होगा। विदेशों पर अवलंबन नहीं होना होगा। हम यहां की बनी वस्तुओं का उपयोग करेंगे। अगर उसके बगैर जीवन नहीं चलता है तो उसे अपनी शर्तों पर चलाएंगे। कोरोना संकट को अवसर बनाकर नया भारत गढ़ना है। क्वालिटी वाले स्वदेशी उत्पाद बनाने पर जोर देना होगा।"
'यह देश हमारा है, इसलिए हम काम कर रहे हैं'
उन्होंने कहा, "यह समाज हमारा है, यह देश हमारा है, इसलिए हम काम कर रहे हैं। कुछ बातें सभी के लिए साफ हैं। यह एक नई बीमारी है, इसलिए सबकुछ जानकारी नहीं है। इसलिए सावधानी बरतकर काम करें। थकना नहीं चाहिए, प्रयास करते रहना होगा। सरकार के आदेशों का पालन करें।" उन्होंने कहा, "हम मनुष्य में भेद नहीं करते हैं। हमारी कोशिश है कि जरूरतमंदों तक मदद पहुंचे। प्रेम पर अपनेपन के साथ काम करना होगा। इस संकट के वक्त में ठंडे दिमाग से सोचने की जरूरत है।"
'130 करोड़ लोग अपने बंधु हैं, भारत के पुत्र हैं'
मोहन भागवत ने कहा, "कुछ खबरें आई हैं कि लोग क्वारंटीन के डर से छिप रहे हैं। इससे डरने की जरूरत नहीं है। दोष रखने वाले लोग हर जगह होते हैं, लेकिन हमें जैविक तरीके से जीवन चलाना होगा। संघ ने 30 जून तक सभी कार्यक्रम स्थगित कर दिए हैं। 130 करोड़ लोग अपने बंधु हैं, भारत के पुत्र हैं। इसलिए दिए जा रहे दिशा-निर्देशों का पालन करना होगा। इस संकट से भविष्य में सीख लेने की जरूरत है।"
'हम मनुष्यों में भेद नहीं करते। सेवा में कोई प्रतिस्पर्धा नहीं है'
भागवत ने कहा, "कोरोना से लड़ाई में सब अपने हैं। हम मनुष्यों में भेद नहीं करते। सेवा में कोई प्रतिस्पर्धा नहीं है। जो भी काम में लगे हैं सेवा के, उन्हें साथ में लेकर काम करना है। हमारी सेवा का आधार अपनत्व की भावना, स्नेह और प्रेम है। काम करते-करते हम बीमार न हों, इसका ध्यान रखना है। हाथ धोना, मास्क लगाना, दवा लेना जरूरी है। बहुत सावधानी पूर्वक काम करना होगा। यह ध्यान रखना है कि हमारी भावना सहयोग की रहेगी, विरोध की नहीं रहेगी। राजनीति आ जाती है, जिन्हें करना है वे करते रहेंगे। अगर कोई घटना होती है तो प्रतिक्रिया नहीं देनी है। भय और क्रोधवश होने वाले कृत्यों में हमें नहीं होना है और ये सभी अपने समाज को बताएं।"
पालघर पर कही बड़ी बात
उन्होंने कहा, "दो संन्यासियों की हत्या हुई, उसे लेकर बयानबाजी हो रही है। लेकिन, यह कृत्य होना चाहिए क्या, कानून हाथ में किसी को लेना चाहिए क्या, पुलिस को क्या करना चाहिए? संकट के वक्त ऐसे किंतु, परंतु होते हैं, भेद और स्वार्थ होता है। हमें इन पर ध्यान न देते हुए देशहित में सकारात्मक बनकर रहना चाहिए। संन्यासियों की हत्या हुई, पीट-पीटकर उपद्रवियों ने मार डाला। वे संन्यासी मानव पर उपकार करने वाले लोग थे।"
'स्वावलंबन इस विपत्ति का संदेश है तो स्व आधारित तंत्र का विचार हमें करना होगा'
उन्होंने कहा, "पहली बार विश्व ऐसी स्थिति का सामना कर रहा है। प्रधानमंत्री ने कहा सरपंचों से कि संकट ने हमें स्वावलंबन की सीख दी है। बहुत से लोग चले गए हैं शहरों से, क्या सारे लोग वापस आएंगे। जो गांव में हैं, उन्हें रोजगार कौन देगा और जो लोग शहरों में आए हैं, उन्हें रोजगार की व्यवस्था दी जाए। स्वावलंबन इस विपत्ति का संदेश है तो स्व आधारित तंत्र का विचार हमें करना होगा। हमें अपनी अर्थनीति, विकासनीति की रचना अपने तांत्रिकी के आधार पर करनी होगी।"
मोहन भागवत के संबोधन का विषय 'वर्तमान परिदृश्य एवं हमारी भूमिका' था। उनकी बातों को देश के साथ-साथ विदेशों में रह रहे स्वयंसेवकों एवं अन्य लोगों तक पहुंचाने के लिए संघ ने अपने पूरे प्रचार तंत्र को सक्रिय कर दिया है।