हिंदुत्व एक ही है, वो पहले से है और आखिर तक वो ही रहेगा: मोहन भागवत
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) प्रमुख मोहन भागवत ने हिंदुत्व को अलग-अलग लोगों के साथ बांटने को लेकर मंगलवार को कहा कि हिन्दुत्व एक ही है, वो पहले से है और आखिर तक वो ही रहेगा।
नई दिल्ली: राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) प्रमुख मोहन भागवत ने हिंदुत्व को अलग-अलग लोगों के साथ बांटने को लेकर मंगलवार को कहा कि हिन्दुत्व एक ही है, वो पहले से है और आखिर तक वो ही रहेगा। वीर सावरकर पर एक पुस्तक के विमोचन कार्यक्रम में RSS प्रमुख ने कहा, "सावरकर जी का हिन्दुत्व, विवेकानंद का हिन्दुत्व, ऐसा बोलने का फैशन हो गया। हिन्दुत्व एक ही है, वो पहले से है और आखिर तक वो ही रहेगा। सावरकर जी ने परिस्थिति को देखकर इसका उद्घोष जोर से करना जरूरी समझा।"
मोहन भागवत ने कहा, "इतने वर्षों के बाद अब हम जब परिस्थिति को देखते हैं तो ध्यान में आता है कि जोर से बोलने की आवश्यकता तब थी, सब बोलते तो शायद विभाजन (भारत-पाकिस्तान विभाजन) नहीं होता।" इसके साथ ही भागवत ने कहा, "जो भारत का है, उसकी सुरक्षा, प्रतिष्ठा भारत के ही साथ जुड़ी है। विभाजन के बाद भारत से स्थलांतर करके पाकिस्तान गए मुसलमानों की प्रतिष्ठा पाकिस्तान में भी नहीं है। जो भारत का है, वो भारत का ही है।" भागवत ने कहा, "आजादी के बाद सावरकर को बदनाम करने की मुहिम बहुत तेजी से चली।"
उन्होंने कहा, "अभी संघ और सावरकर पर टीका टिपण्णी हो रही है लेकिन आने वाले समय में विवेकानंद, दयानंद और स्वामी अरविंद का नंबर आएगा।" उन्होंने कहा, "भारत को जोड़ने से जिसकी दुकान बंद हो जाए, उनको अच्छा नहीं लगता है। ऐसे जोड़ने वाले विचार को धर्म माना जाता है। ये धर्म जोड़ने वाला है ना कि पूजा-पद्धति के आधार पर बांटने वाला। इसी को मानवता या संपूर्ण विश्व की एकता कहा जाता है। सावरकर ने इसी को हिंदुत्व कहा।" उन्होंने कहा, "सैयद अहमद को मुस्लिम असंतोष का जनक कहा जाता है।"
भागवत ने कहा, "इतिहास में दारा शिकोह, अकबर हुए पर औरंगजेब भी हुए, जिन्होंने चक्का उल्टा घुमाया।" उन्होंने कहा, "शफ़ाक़ुल्लाह ख़ान ने कहा था कि मरने के बाद अगला जन्म भारत में लूंगा। ऐसे लोगों के नाम गूंजने चाहिए। जो भारत के हैं, उनकी सुरक्षा, प्रतिष्ठा भारत से जुड़ी है पर विभाजन के बाद जो पाकिस्तान गए उनकी प्रतिष्ठा वहां नहीं है।" भागवत ने कहा, "पूजा के आधार पर भेदभाव ना करने वाली ही हमारी राष्ट्रीयता है और वो हिंदू राष्ट्रीयता है, ऐसा सावरकर को कहना पड़ा, जब दो देश का कोलाहल उठा था।"
मोहन भागवत ने कहा, "संसद में क्या नहीं होता, बस मारपीट नहीं होती बाकि सब होता है। पर बाहर आकर सब साथ में चाय पीते है और एक दूसरे के यहां शादी में जाते हैं। यहां सब समान हैं, इसलिए अलगाव या विशेषाधिकार की बात ना करो।" उन्होंने कहा, "सुरक्षानीति चलेगी, सुरक्षा की बात चलेगी पर राष्ट्रनीति के पीछे-पीछे। कुछ लोग मानते हैं कि 2014 के बाद सावरकर का युग आ रहा है, तो ये सही है। सबकी ज़िम्मेदारी और भागीदारी होगी। यही हिंदुत्व है। हम एक हो रहे हैं, ये अच्छी बात है पर इसका मतलब ये नहीं कि हम अलग हैं।"
भागवत ने कहा, "सावरकर मुसलमानों के शत्रु नहीं थे। उनकी उर्दू गजले भी हैं। सावरकर का मुख्य पाला दुर्जनों से पड़ा इसलिए उनकी भाषा वैसी हो गई।" मोहन भागवत ने कहा, "मतभिन्नता स्वाभाविक है। लेकिन हमारे मत अलग हैं तो भी साथ चलेंगे, वाद-विवाद होगा। ये हमारी राष्ट्रीयता का मूल तत्व है। जिनको ये पता नहीं उन्होंने सावरकर को बदनाम करने की मुहिम चलाई और चला रहे है। क्षुद्र बुद्धि वालों ने सावरकर की बदनामी की, निंदा करने का कार्य किया।"
उन्होंने कहा, "जब सावरकर थे, उस समय हिंदू समाज कहता (मुसलमानों से) कि कर्तव्य में भी आपका हिस्सा है और जो है उसमें भी आपका है। हम परस्पर भाई हैं पर पूजा-पद्धति अलग है, पर हम एक हैं। सब देश के हैं। सब एक भारत मां के सपूत, एक सांस्कृतिक विरासत के हैं। हिंदू वसुधैव कुटुम्बम की बात करता है।"