नई दिल्ली. केंद्र सरकार आने वाले दिनों में हुर्रियत कॉन्फ्रेंस के खिलाफ बड़ा एक्शन ले सकती है। अंग्रेजी अखबार टाइम्स ऑफ इंडिया में छपी रिपोर्ट के अनुसार, सरकार हुर्रियत के सभी धड़ों पर UAPA के तहत बैन लगाते हुए उन्हें गैरकानूनी संगठन घोषित कर सकती है। इसकी वजह से हुर्रियत के घटक दलों और नेताओं की जम्मू-कश्मीर में आतंकवाद के वित्तपोषण में कथित संलिप्तता बताई जा रही है।
सुरक्षा एजेंसियों के सूत्रों के हवाले से टाइम्स ऑफ इंडिया ने बताया कि गृह मंत्रालय आने वाले दिनों में UAPA की धारा 3(1) के तहत हुर्रियत कांफ्रेंस के सभी गुटों को गैरकानूनी घोषित करने पर अंतिम फैसला लेगा – जिसमें उदारवादी हुर्रियत और तहरीक-ए-हुर्रियत शामिल हैं, जिसका नेतृत्व कभी दिवंगत कट्टरपंथी नेता सैय्यद अली शाह गिलानी के हाथों में था।
रिपोर्ट में सूत्रों के हवाले से बताया गया है कि जम्मू-कश्मीर प्रशासन और NIA ने पहले ही हुर्रियत को 'गैरकानूनी संगठन' के रूप में सूचीबद्ध करने के लिए केंद्र को इनपुट दिया था लेकिन गृह मंत्रालय ने अतिरिक्त इनपुट और डेटा मांगा था। सूत्रों ने बताया कि स्पष्टीकरण और अतिरिक्त जानकारी अब जमा कर दी गई है और अब उम्मीद जताई जा रही है कि जल्द ही हुर्रियत कांफ्रेंस के सभी गुटों और मोर्चों प्रतिबंध लगाने का निर्णय लिया जाएगा।
आपको बता दें कि हाल के वर्षों में हुर्रियत नेतृत्व के खिलाफ कई आतंकी मामले लगाए हैं, जिसके बाद कश्मीर घाटी में हुर्रियत कांफ्रेंस की उपस्थिति और गतिविधियों में भारी गिरावट देखी गई है। एक अधिकारी ने बताया कि UAPA प्रतिबंध के साथ, हुर्रियत कांफ्रेंस द्वारा कथित तौर पर नियोजित आतंकी फंडिंग मार्गों को बंद किया जा सकता है। उन्होंने कहा कि एक बार प्रतिबंध लगने के बाद हुर्रियत और उसके सभी गुटों को अपने कार्यालयों और बुनियादी ढांचे को खत्म करना होगा।
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