जम्मू-कश्मीर में बनेगी दुनिया की सबसे लंबी टनल, मोदी सरकार ने दी मंजूरी
कुल 6,809 करोड़ रुपये लागत वाली इस परियोजना के तहत आने-जाने के लिये सुरंग बनाई जाएगी, जो दुनिया की सबसे लंबी सुरंग होगी।
नयी दिल्ली: केंद्रीय मंत्रिमंडल ने जम्मू कश्मीर में रणनीतिक रूप से महत्वपूर्ण जोजिला सुरंग परियोजना को आज मंजूरी दे दी। इसका मकसद कश्मीर घाटी तथा लद्दाख के बीच हर मौसम में संपर्क सुविधा उपलब्ध कराना है जो जाड़े में भारी हिमपात के कारण दुनिया के शेष हिस्सों से कटा रहता है। कुल 6,809 करोड़ रुपये लागत वाली इस परियोजना के तहत आने-जाने के लिये सुरंग बनाई जाएगी, जो दुनिया की सबसे लंबी सुरंग होगी। इस परियोजना के पूरा होने पर श्रीनगर और लेह के बीच यात्रा में लगने वाला समय घटकर 15 मिनट रह जाएगा जो फिलहाल 3.5 घंटा है।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में मंत्रिमंडल की आर्थिक मामलों की समिति ने जम्मू कश्मीर में 14.2 करोड़ लंबी सुरंग परियोजना को मंजूरी दे दी। इससे श्रीनगर, करगिल और लेह के बीच सभी मौसमों में संपर्क सुविधा होगी। जाड़े में (दिसंबर से अप्रैल) भारी हिमपात और हिमस्खलन के कारण लेह-लद्दाख क्षेत्र कश्मीर से कटा रहता है।
सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी ने कहा, ‘‘जोजिला सुरंग दोतरफा (आने-जाने के लिये) सबसे लंबी सुरंग होगी। इसके निर्माण में सात साल का समय लगेगा क्योंकि यह काफी कठिन भौगोलिक क्षेत्र में हैं जहां तापमान शून्य से 45 डिग्री नीचे तक चला जाता है। यह सुरंग ऐसे भौगोलिक क्षेत्र में इंजीनियरिंग का बेजोड़ नमूना होगी।’’ परियोजना से जोजिला दर्रा से गुजरने वाले यात्रियों की सुरक्षा बेहतर होगी और यात्रा समय 3.5 घंटे से कम होकर 15 मिनट हो जाएगा।
गडकरी ने कहा, ‘‘रक्षा बलों को जाड़े में सीमा चौकियों पर वस्तुओं की आपूर्ति के लिये काफी मशक्कत करनी पड़ती है। यह दर्रा पूरे करगिल क्षेत्र में रणनीतिक रूप से काफी महत्वपूर्ण है....।’’उन्होंने कहा कि परियोजना की आधारशिला प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी रखेंगे और इस पर काम इस साल शुरू हो जाने की संभावना है।जोजिला दर्रा श्रीनगर-करगिल-लेह राष्ट्रीय राजमार्ग पर 11,578 फुट की ऊंचाई पर है। जाड़े में (दिसंबर से अप्रैल) भारी हिमपात और हिमस्खलन के कारण लेह-लद्दाख क्षेत्र कश्मीर से कटा रहता है।
इससे पहले, एक आधिकारिक बयान में कहा गया कि श्रीनगर, करगिल और लेह के बीच सभी मौसमों में संपर्क सुविधा के साथ परियोजना इन क्षेत्रों में चौतरफा आर्थिक और सामाजिक विकास में मददगार साबित होगी।इसमें कहा गया है, ‘‘परियोजना का रणनीतिक और सामाजिक-आर्थिक महत्व है और जम्मू कश्मीर के पिछड़े जिलों में विकास का रास्ता खुलेगा।’’ परियोजना की निर्माण अवधि सात साल है।
बयान के अनुसार, ‘‘परियोजना के निर्माण पर 4,899.42 करोड़ रुपये की लागत आएगी। वैसे कुल पूंजी लागत 6,808.69 करोड़ रुपये है। इसमें जमीन अधिग्रहण, पुनर्वास और पुनस्र्थापना तथा निर्माण पूर्व गतिविधियों की लागत शामिल हैं। इसके अलावा इसमें चार साल तक सुरंग के रखरखाव और परिचालन लागत भी शामिल है।’’ परियोजना का क्रियान्वयन सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्रालय राष्ट्रीय राजमार्ग और संरचना विकास निगम लि. के जरिये करेगा।