नई दिल्ली: 2019 लोकसभा चुनाव से ठीक पहले केंद्र सरकार ने अहम कदम उठाते हुए मंगलवार को सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल कर अयोध्या में विवादित स्थल के आस-पास की अतिरिक्त गैर विवादित जमीन उनके असली मालिकों को वापस करने की मांग की है। याचिका में केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट से कहा कि विवादित ज़मीन के अलावा अधिग्रहित की गई अतिरिक्त ज़मीन का अधिग्रहण लौटा दिया जाए। बता दें कि 1993 में केंद्र सरकार ने अयोध्या में करीब 67 एकड़ ज़मीन का अधिग्रहण किया था।
माना जा रहा है कि अयोध्या केस के सुनवाई में हो रही देरी की वजह से केंद्र सरकार ने ये कदम उठाया है। चूंकि, आसपास की सारी जमीन हिंदुओ की है इसीलिए सरकार उस पर निर्माण करने का रास्ता खोज रही है। इलाहाबाद हाईकोर्ट ने तीन हिस्सों में 2.77 एकड़ जमीन बांटी थी। राम मूर्ति वाला पहला हिस्सा राम लला विराजमान को मिला, राम चबूतरा और सीता रसोई वाला दूसरा हिस्सा निर्मोही अखाड़ा को मिला और जमीन का तीसरा हिस्सा सुन्नी वक्फ बोर्ड को देने का फैसला सुनाया गया।
केंद्र सरकार द्वारा अधिकृत 67 एकड़ जमीन में विवादित ढांचा सिर्फ 0.313 एकड़ जमीन पर है। हाईकोर्ट ने 2.77 एकड़ जमीन को लेकर पहले ही फैसला दे दिया था। केंद्र सरकार ने यही बाकी बची पूरी जमीन वापस मांगी है। विवादित जमीन के अलावा बाकी जमीन हिंदू पक्ष की है और जो जमीन विवादित नहीं है उस पर निर्माण का रास्ता साफ हो सकता है। बता दें कि सुप्रीम कोर्ट मौजूदा वक्त में साल 2010 में आए इलाहाबाद हाईकोर्ट के ही फैसले के विरूद्ध आई14 अपीलों की सुनवाई कर रहा है, जिसमें विवादित 2.77 एकड़ जमीन को सुन्नी वक्फ बोर्ड, निर्मोही अखाड़ा और रामलला के बीच तीन भागों में बांटने का आदेश सुनाया गया था।
स्वामी ने कहा कि अयोध्या में मंदिर बनाने का आधा काम अब हो गया है। स्वामी ने कहा कि सरकार चाहे तो अब गैर विवादित जमीन पर मंदिर का निर्माण काम शुरू कर सकती है। स्वामी ने आगे कहा, ‘’मुझे नहीं पता कि ये विवाद सुप्रीम कोर्ट में कब तक चलेगा। देश की जमीन की आखिरी मालिक सरकार ही होती है। अगर सरकार आपकी जमीन लेती है तो आपको मुआवजा देती है। विवाद इस बात पर होता है कि मुआवजा पर्याप्त है या नहीं।‘’
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