मोदी सरकार आने के बाद भारत में पहली बार बनी स्वतंत्र सुरक्षा नीति: अमित शाह
केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने शनिवार को दावा किया कि भारत की सुरक्षा नीति विदेश नीति से ‘‘प्रभावित रहती थी या भारतीय विदेश नीति का अतिव्यापन करती थी’’ और नरेंद्र मोदी के प्रधानमंत्री बनने के बाद ही देश को पहली स्वतंत्र सुरक्षा रणनीति मिली।
नयी दिल्ली। केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने शनिवार को दावा किया कि भारत की सुरक्षा नीति विदेश नीति से ‘‘प्रभावित रहती थी या भारतीय विदेश नीति का अतिव्यापन करती थी’’ और नरेंद्र मोदी के प्रधानमंत्री बनने के बाद ही देश को पहली स्वतंत्र सुरक्षा रणनीति मिली। शाह ने यह बात ‘‘रुस्तमजी स्मारक व्याख्यान’’को संबोधित करते हुए कही जिसमें सीमा सुरक्षा बल (बीएसएफ) के जवानों और अधिकारियों ने हिस्सा लिया। उन्होंने इस मौके पर सीमा की रक्षा में लगे बल के सेवारत और ड्यूटी के दौरान शहीद हुए जवानों को वीरता पदक भी प्रदान किए।
गृहमंत्री शाह ने कहा, ‘‘मैं अकसर सोचता था कि क्या इस देश की सुरक्षा नीति है या नहीं? नरेंद्र मोदी के प्रधानमंत्री बनने तक हमारे पास कोई स्वतंत्र सुरक्षा नीति नहीं थी। वो हमेशा विदेश नीति से प्रभावित रहती थी या फिर विदेश नीति सुरक्षा नीति पर अतिव्यापी (ओवरलैप) होती थी।’’ उन्होंने कहा कि नरेंद्र मोदी के प्रधानमंत्री बनने के बाद देश को स्वतंत्र सुरक्षा नीति मिली। शाह ने कहा, ‘‘हमारा विचार है कि सभी के साथ शांतिपूर्ण संबंध हों, लेकिन अगर कोई हमारी सीमाओं को छेड़ता है, अगर कोई हमारी संप्रभुता को चुनौती देता है, तो हमारी सुरक्षा नीति की प्राथमिकता है कि ऐसी कोशिशों को उसी की भाषा में जवाब दिया जाए।’’ उन्होंने कहा कि सुरक्षा नीति ‘बड़ी उपलब्धि’ है क्योंकि देश ऐसी सदृढ़ योजना चाहता है।
गृहमंत्री ने कहा, ‘‘मेरा मानना है कि इसके (सुरक्षा नीति) बिना न तो देश प्रगति कर सकता है और न ही लोकतंत्र समृद्ध हो सकता है।’’ शाह ने कहा, ‘‘मोदी जी (प्रधानमंत्री) ने यह बड़ा काम किया है। मुझे उदाहरण देने की जरूरत नहीं है क्योंकि यह सभी को पता हैं।’’ उन्होंने कहा कि नीति को उनकी सरकार ने जमीन पर क्रियान्वित किया। गृहमंत्री ने घोषणा की कि उनकी सरकार वर्ष 2022 तक भारत की सीमा पर पूरी तरह से बाड़बंदी सुनिश्चित करने के लिए काम कर रही है। उन्होंने कहा कि इस समय देश की सीमा का तीन प्रतिशत हिस्सा बिना सुरक्षा दीवार के है और यह आतंकवादियों की घुसपैठ और सीमा पर होने वाले अपराधों जैसे हथियारों, गोलाबारूद और मादक पदार्थों की तस्करी को रोकने में ‘‘बड़ी खाई’’ है।
गृहमंत्री ने कहा कि भारत जल्द ही ड्रोन रोधी प्रौद्योगिकी का विकास कर लेगा जिसपर रक्षा अनुसंधान विकास संगठन (डीआरडीओ) और अन्य एजेंसियां काम कर रही हैं। उनकी यह टिप्पणी पिछले महीने पहली बार जम्मू स्थित वायुसेना स्टेशन पर ड्रोन से हुए हमने की पृष्ठभूमि में आई है। इस हमले को दो ड्रोन ने अंजाम दिया जिसमें एक इमारत के हिस्से को नुकसान पहुंचा और दो वायुसैनिक घायल हो गए थे। गृहमंत्री ने इसके साथ ही कहा कि सुरक्षा और प्रौद्योगिकी विकास प्रतिष्ठान दीर्घकालीन योजना के तहत कृत्रिम बुद्धिमत्ता और रोबोटिक प्रौद्योगिकी के विकास पर काम कर रहे हैं।
गौरतलब है कि बीएसएफ में 2.65 लाख जवान हैं जो बांग्लादेश और पाकिस्तान से लगती करीब 6,300 किलोमीटर लंबी भारत की सीमा की रक्षा करते है। वहीं रुस्तमजी स्मारक व्याख्यान हर साल बल के प्रथम महानिदेशक केएफ रुस्तमजी की याद में आयोजित किया जाता है। ब्रिटिश शासन के दौरान इम्पीरियल पुलिस के 1938 बैच के अधिकारी रुस्तमजी ने नौ साल तक बीएसएफ का नेतृत्व किया। वर्ष 2003 में उनका निधन हुआ था।
BSF के 18वें अलंकरण समारोह में BSF के डीजी राकेश अस्थाना ने कहा कि हाल ही में सुरंगों और सीमा पार से ड्रोन के जरिए हथियार और मादक पदार्थ भेजने और आतंकियों की घुसपैठ की कोशिशों को BSF ने असफल किया है। पाकिस्तान के साथ लगती हमारी पश्चिमी सीमा पर BSF ने एक साल में लगभग 632 किलोग्राम से अधिक मात्रा में नशीले पदार्थ जिनकी कीमत लगभग 2,786 करोड़ रुपए है और 55 एके सीरीज़ के हथियार शामिल है सहित 4,223 राउंड गोला बारूद भी BSF ने ज़ब्त किया।