नई दिल्ली। रूस के मॉस्को में भारत और चीन के विदेश मंत्रियों की बैठक के बाद सीमा पर सैनिकों को पीछे करने के लिए एक बार फिर से सेना की कमांडर स्तर की बात हो सकती है। सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक, दोनों नेताओं के बीच हुई बैठक को काफी महत्वपूर्ण माना जा रहा है और बैठक के बाद सीमा पर सैनिकों को पीछे करने को लेकर राजनीतिक दिशा मिली है। अब इसके बाद सेना के कमांडरों की बैठक हो सकती है जो सैनिको को पीछे करने को लेकर फैसला लेंगे।
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बता दें कि, पूर्वी लद्दाख में भारत और चीन के बीच वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) पर जारी तनाव को कम करने के लिए दोनों देशों के बीच पांच बिंदुओं पर सहमति बन गई है। भारतीय विदेश मंत्री एस जयशंकर और उनके चीनी समकक्ष वांग यी के बीच गुरुवार (10 सितंबर) को रूस के मॉस्को में हुई मुलाकात में यह फैसला लिया गया है। बता दें कि, मॉस्को में चल रही शंघाई कॉपरेशन ऑर्गनाइजेशन (एससीओ) देशों के विदेश मंत्रियों की बैठक में दोनों नेताओं की मुलाकात हुई।
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बैठक में भारत के विदेश मंत्री ने यह स्पष्ट किया कि भारत एलएसी पर जारी तनाव को और नहीं बढ़ाना चाहता है और चीन के प्रति भारत की नीति में कोई बदलाव नहीं हुआ है। भारत का यह भी मानना है कि भारत के प्रति चीन की नीति में भी किसी तरह का बदलाव नहीं हुआ है। चीनी विदेश मंत्रालय ने कहा कि दो पड़ोसी देश होने के नाते ये बहुत स्वाभाविक है कि चीन और भारत में कुछ मुद्दों पर असहमति है, लेकिन अहम बात यह है कि उन असहमतियों को सही परिपेक्ष्य में देखा जाए।
इन 5 बिंदुओं पर भारत-चीन के बीच बनी समहति
- सैनिकों के डिसएंगेजमेंट की प्रक्रिया शुरू हो, प्रॉपर डिस्टेंस मेंटेन करें
- दोनों देशों के बीच हुए तमाम समझौतों का पालन किया जाए
- बॉर्डर पर शांति और सौहार्द बनाने के लिए कदम उठाएंगे
- अहसमतियों को विवाद में बदलने नहीं दिया जाएगा
- स्पेशल रिप्रेजेंटेटिव मेकैनिज्म और WMCC की मीटिंग जारी रहनी चाहिए
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