भेापाल: मध्य प्रदेश में जारी सियासी घमासान के बीच राज्य से बाहर से आने वाले विधायकों का स्वास्थ्य परीक्षण कराया गया है और जो विधायक बेंगलुरू और गुरुग्राम से आने वाले हैं, उनका भी कोरोनावायरस को लेकर स्वास्थ्य परीक्षण कराया जा सकता है। देश और दुनिया में कोरोनावायरस का खौफ बना हुआ है, मध्य प्रदेश में भी इस बीमारी की रोकथाम के लिए खास कदम उठाए गए हैं। स्कूल, कॉलेज, सिनेमाघर, आंगनवाड़ी केंद्र बंद कर दिए गए हैं। वहीं बाहर से आने वाले लोगों पर खास नजर रखी जा रही है। इसी क्रम में जयपुर गए कांग्रेस के विधायक रविवार को लौटे तो उनका स्वास्थ्य परीक्षण कराया गया।
राज्य सरकार के स्वास्थ्य मंत्री तरुण भनोत ने कहा, "विधायकों का स्वास्थ्य परीक्षण कराया गया है। किसी भी विधायक को कोरोना के लक्षण नहीं पाए गए हैं। अन्य स्थानों से आने वाले विधायकों के भी स्वास्थ्य परीक्षण कराए जाएंगे। जो भी बाहर से आए, उसका स्वास्थ्य परीक्षण होना ही चाहिए।"
राज्य के जनसंपर्क मंत्री पी.सी. शर्मा का कहना है, "कैबिनेट बैठक में कई मंत्रियों ने कहा कि जयपुर से आए विधायकों और बेंगलुरू व गुरुग्राम से आने वाले विधायकों के भी स्वास्थ्य परीक्षण कराए जाएं।" उन्होंने आगे कहा, "ओडिशा, राजस्थान, केरल, छत्तीसगढ़, महाराष्ट्र की विधानसभाएं कोरोना की रोकथाम के मद्देनजर स्थगित की गई हैं।"
ऐसे में क्या मध्य प्रदेश विधानसभा सत्र की तिथि भी कोरोना के चलते आगे बढ़ाई जा सकती है? शर्मा ने कहा कि विधानसभा का बजट सत्र 16 मार्च से राज्यपाल के अभिभाषण से शुरू होगा, उसके बाद कोई बात सामने आएगी तो फैसला लिया जाएगा। कोरोना को लेकर राज्य विधानसभा सत्र को आगे बढ़ाने की चर्चा पर नेता प्रतिपक्ष गोपाल भार्गव ने कहा, "कोरोना का कोई डर नहीं है। लोकसभा का सत्र चल रहा है, कांग्रेस की यह बहानेबाजी नहीं चलने वाली। आखिर जनता को कब तक छलते रहेंगे।"
भाजपा के मुख्य सचेतक डॉ. नरोत्तम मिश्रा ने कहा, "यह कोरोना नहीं, डरोना है। लोकसभा चल रही है, जो विधानसभा से बड़ा सदन है। वहां तो एक मौत भी हो चुकी है। यह सत्र टालने की ही कोशिश है, जिसे हम सफल नहीं होने देंगे।" कोरोना को लेकर विधानसभा का सत्र आगे बढ़ाए जाने के सवाल पर विधानसभाध्यक्ष एन.पी. प्रजापति का कहना है, "क्या होगा, यह सोमवार को ही पता चलेगा। कल तक की प्रतीक्षा की जानी चाहिए।"
ज्ञात हो कि राज्यपाल लालजी टंडन ने शनिवार रात मुख्यमंत्री कमलनाथ को एक पत्र लिखकर अभिभाषण के तुरंत बाद विश्वासमत पर मत विभाजन करने को कहा है। कांग्रेस की ओर से संसदीय कार्य मंत्री व मुख्य सचेतक डॉ. गोविंद सिंह ने विधायकों को व्हिप जारी कर सदन में उपस्थित रहकर कांग्रेस के पक्ष में मतदान करने को कहा है। दूसरी ओर भाजपा के सदन में मुख्य सचेतक डॉ. नरोत्तम मिश्रा ने भाजपा विधायकों को व्हिप जारी किया है।
राज्य विधानसभा के 22 सदस्यों (विधायकों) ने इस्तीफा दे दिया है। इनमें से छह के इस्तीफे स्वीकार कर लिए गए हैं। कुल 230 सदस्यीय विधानसभा में दो स्थान रिक्त हैं। अब कांग्रेस के 108, भाजपा के 107, बसपा के दो, सपा का एक और निर्दलीय चार विधायक बचे हैं। यानी विधानसभा में सदस्यों की कुल संख्या 222 रह गई है। लिहाजा बहुमत के लिए 112 विधायकों की जरूरत होगी। इस तरह कांग्रेस के पास चार विधायक कम है। कांग्रेस के पास सपा, बसपा और निर्दलीयों को मिलाकर कुल सात अतिरिक्त विधायकों का समर्थन हासिल है। अगर यह स्थिति यथावत रहती है तो कांग्रेस के पास कुल 115 विधायकों का समर्थन होगा। लेकिन 16 विधायकों के इस्तीफे मंजूर होने पर कांग्रेस के विधायकों की संख्या 92 ही रह जाएगी।
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