लखनऊ: बहुजन समाज पार्टी (बसपा) अध्यक्ष मायावती ने कृषि विधेयकों को लेकर संसद के अंदर हुए हंगामे पर चिंता जाहिर की और इसे संविधान की गरिमा और लोकतंत्र को शर्मसार करने वाला बताया। मायावती ने बुधवार को ट्वीट किया, "वैसे तो संसद लोकतंत्र का मन्दिर ही कहलाता है फिर भी इसकी मर्यादा अनेक बार तार-तार हुई है। वर्तमान संसद सत्र के दौरान भी सदन में सरकार की कार्यशैली और विपक्ष का जो व्यवहार देखने को मिला है वह संसद की मर्यादा, संविधान की गरिमा व लोकतंत्र को शर्मसार करने वाला है। अति-दुःखद।"
मायावती का यह बयान गत रविवार को राज्यसभा में कृषि विधेयकों को पारित किए जाने के दौरान विपक्षी सदस्यों द्वारा किए गए जबरदस्त हंगामे के मद्देनजर आठ सदस्यों को पूरे सत्र के लिए निलंबित किए जाने के बाद आया है। रविवार को राज्यसभा में हुए हंगामे के बाद सोमवार को आठ सांसदों को निलंबित किया गया था। निलंबित सासंदों पर रविवार को कृषि बिलों पर चर्चा के दौरान उप सभापति के ऊपर कागज फाड़कर फेंकने, माइक तोड़ने, टेबल पर चढ़कर हंगामा करने और राज्यसभा में नियमों का पालन नहीं करने का आरोप है।
दरअसल, जब रविवार को बिल पर उप सभापति ने ध्वनिमत वोटिंग शुरू की थी तब कई सांसद उप सभापति के कुर्सी तक पहुंच गए और वहां पर माइक तोड़ने लगे और कागज फाड़कर फेंकने लगे। कई सांसदों ने राज्यसभा के नियमों की किताब फाड़ी तो कुछ ने कृषि बिलों की कॉपी भी फाड़ी थी। इसी के बाद सोमवार को तृणमूल कांग्रेस (TMC) सांसद डेरेक ओ ब्रायन, आम आदमी पार्टी (AAP) के संजय सिंह, कांग्रेस के राजीव साटव, रिपुन बोरा तथा नाजिर हुसैन, केके रागेश, डोला सेन और इलामरन करीम को निलंबित किया गया।
बता दें कि रविवार को राज्यसभा में कृषि उपज व्यापार और वाणिज्य (संवर्द्धन और सुविधा) विधेयक-2020 और कृषक (सशक्तिकरण एवं संरक्षण) कीमत आश्वासन समझौता और कृषि सेवा पर करार विधेयक-2020 पारित हुए हैं। इन्हीं बिलों पर चर्चा के दौरान यह पूरा हंगामा हुआ था।
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