नई दिल्ली: पिछले एक हफ्ते से आंधी-अंधड़, तूफान और बारिश का खतरा देश के कई राज्यों पर मंडराया हुआ है। अब इसके बाद एक और कुदरती कहर की चेतावनी जारी हुई है। अंतरिक्ष वैज्ञानिकों के अनुसार धरती पर इस समय सोलर स्टॉर्म का खतरा मंडरा रहा है। इसकी वजह से अगले 24 घंटे भारत सहित दुनिया के अन्य देशों के लिए भारी पड़ सकते हैं। वैज्ञानिकों ने चेतावनी दी है कि दुनिया के कई इलाकों में अंधेरा छा जाएगा। सोलर स्टॉर्म की वजह से कन्यूनिकेशन सिस्टम चौपट हो जाएगा। सैटेलाइट से जुड़ी सुविधा जैसे टीवी, फोन, जीपीएस और बैंक सर्विसेज ठप्प हो जाएगी।
फ्लाइट्स और ट्रेन पर इसका गहरा असर होने वाला है। मतलब ये कि आम लोगों का जीवन अस्त वयस्त हो जाएगा। कई लोगों का मानना कि आग की ये आंधी जब पृथ्वी से टकराएगी तो भारी तबाही होने वाली है। अंधेरा छा जाएगा और जो जहां हैं वहीं ठहर जाएगा। कुछ लोग ये भी दावा कर रहे हैं कि कई शहर सोलर सुमानी में पूरी तरह बर्बाद हो जाएंगे।
बताया जा रहा है कि वैज्ञानिकों को सूरज की सतह पर एक भयानक विस्फोट का पता चला है जिसकी वजह से आग का एक दरिया सुरज से छिटक कर अंतरिक्ष में आ गया है और वो सीधे धरती की ओर बढ़ रहा है। सोलर सुनामी की वजह से पृथ्वी का चक्कर लगा रहे सेटेलाइट तबाह हो सकते हैं जिससे इंटरनेट भी बंद हो सकता है। खतरे को देखते हुए कई देशों में इन सेवाओं को एहतियातन रोक दिया गया है।
इस तूफान का असर दुनिया के किन हिस्सों में होगा, इसे लेकर अभी पूरी तरह से जानकारी नहीं मिल पाई है, लेकिन माना जा रहा है कि दुनिया के कई देश इससे प्रभावित हो सकते हैं, जिनमें भारत का भी कुछ हिस्सा शामिल हो सकता है। वैज्ञानिकों के अनुसार, भारत से पहले इसका असर अमेरिका और यूके में दिख सकता है। सोलर सुनामी के धरती से टकराने पर कुछ समय के लिए टेक ब्लैकआउट की स्थिति बन सकती है। नैशनल ओशन ऐंड अटमॉस्फियर असोसिएशन ने कहा है कि जब यह तूफान आएगा तो उत्तर और दक्षिण में तेज रोशनी नजर आएगी। हालांकि संस्थान ने इसे जी-1 या हल्का सोलर सुनामी ही करार दिया है। असोसिएशन फोरकास्ट का कहना है कि यह तूफान रविवार या सोमवार को आ सकता है। इस दौरान काफी तजे सौर हवाएं चलेंगी।
ऐसा माना जाता है कि जी-5 श्रेणी का तूफान पृथ्वी को भारी नुकसान पहुंचा सकता है। सोलर स्टॉर्म को लेकर स्काईमेट के साइंटिस्ट का कहना है कि जी-1 कैटिगरी में पावर ग्रिड पर सबसे अधिक असर होता है। माइग्रेटरी बर्ड्स पर भी इसका गंभीर असर पड़ सकता है। इस आंधी का व्यापक असर यूएस और यूके में पड़ने की आशंका है।
सोलर सुनामी का सबसे ज्यादा असर 1973 में देखने को मिला था जब कनाडा में 60 लाख लोगों को अंधेरे में रहने पर मजबूर होना पड़ा था। उस वक्त लोगों की जिंदगी सैटेलाइट कम्युनिकेशन से इस तरह जुड़ी नहीं थी जैसी की आज है। आज हर आदमी के हाथ में फोन हैं, टीवी है। बैंकों के साथ साथ ज्यादातर सेवाएं इंटरनेट से जुड़ चुकी है इसलिए अगर सैटेलाइट कम्युनिकेशन पर जरा सा असर लोगों की बड़ी मुसीबत का कारण बन सकता है। चारो तरफ हाहाकार मच सकता है।
अब तक सूरज से निकलने वाली सबसे बड़ी आंधी 2003 में आई है। फिर 2010 में जी-7 लेवल का फ्लेयर देखा गया। इसी तरह 2013 में नासा ने एक खतरनाक सोलर सुनामी की चेतावनी दी थी। 2017 के मार्च में भी सोलर सुनामी की चेतावनी दी थी लेकिन जब आग का ये तूफान पृथ्वी से टकराया तो इसका असर वैसा ही रहा जैसा किसी जी-1 लेवल के सोलर स्टॉर्म का होता है। यानी कोई नुकसान नहीं हुआ।
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