नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने मराठा समुदाय को शिक्षा और नौकरी में आरक्षण देने को चुनौती देने वाली याचिका पर महाराष्ट्र सरकार से जवाब मांगा है। उच्चतम न्यायालय ने कहा कि मराठा समुदाय को 2014 से पूर्व प्रभावी तौर पर आरक्षण देने वाले बॉम्बे हाईकोर्ट के आदेश के पहलू को लागू नहीं किया जाएगा।
प्रधान न्यायाधीश रंजन गोगोई की अध्यक्षता वाली एक पीठ ने मराठा आरक्षण कानून की संवैधानिक वैधता को बरकरार रखने के बंबई उच्च न्यायालय के आदेश पर रोक नहीं लगाई, लेकिन यह स्पष्ट कर दिया कि मराठा समुदाय को 2014 से पूर्व प्रभावी तौर पर आरक्षण देने वाले बंबई उच्च न्यायालय के आदेश के पहलू को लागू नहीं किया जाएगा।
पीठ दो याचिकाओं पर सुनवाई कर रही थी, जिनमें से एक जे. लक्ष्मण राव पाटिल की थी, जिसमें उन्होंने मराठा समुदाय को आरक्षण देने संबंधी कानून को बरकरार रखने के बंबई उच्च न्यायालय के फैसले को चुनौती दी थी।
कोर्ट ने कहा कि इस मामले में दो हफ्ते बाद सुनवाई होगी। बता दें कि महाराष्ट्र में शिक्षा और सरकारी नौकरियों में मराठा समुदाय को 16 फीसदी आरक्षण प्रदान किए गए हैं।
आरक्षण को बरकरार रखने वाले बॉम्बे हाईकोर्ट के आदेश के खिलाफ एक एनजीओ ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की। याचिका में कहा गया है कि संविधान पीठ द्वारा तय आरक्षण पर 50% कैप का उल्लंघन हुआ है। इस पर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई चल रही है।
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