राजनांदगांव: छत्तीसगढ़ के राजनांदगांव जिले के उग्रवाद प्रभावित वन क्षेत्र में नक्सलियों के साथ मुठभेड़ में एक पुलिस उपनिरीक्षक और एक कांस्टेबल की मौत हो गई। पुलिस महानिरीक्षक दुर्ग रेंज दीपांशु काबरा ने कहा कि यह मुठभेड़ रविवार अपराह्न तब हुई जब जिला बल की एक विशेष इकाई गातापार थाना क्षेत्र के जंगल में माओवाद विरोधी अभियान पर थी। ये भी पढ़ें: नौकरीपेशा लोगों के लिए खुशखबरी, सरकार जल्द ही ले सकती है यह बड़ा फैसला
जिला पुलिस के नक्सल विरोधी बल ई-30 की एक टीम भावे गांव के पास जंगल की घेराबंदी कर रही थी तभी उग्रवादियों के एक समूह की ओर से भारी गोलीबारी होने लगी और फिर मुठभेड़ हुई। उन्होंने कहा कि यह देखकर कि सुरक्षा बलों ने उन्हें घेर लिया तो उग्रवादी घने जंगल में भाग गए।
अधिकारी ने कहा, पुलिस उपनिरीक्षक युगल किशोर वर्मा और कांस्टेबल कृष साहू की घटना में मौत हो गई। काबरा ने बताया कि वर्मा की मौके पर मौत हो गयी वहीं साहू की सांसें बाद में जंगल से निकाले जाते समय थम गयीं। वर्मा 2008 बैच के उपनिरीक्षक स्तर के अधिकारी थे और बलोदा बाजार जिले के पलारी इलाके के रहने वाले थे।
नक्सलियों समर्थन के आरोप में सहायक जेल अधीक्षक निलंबित
वहीं सोशल मीडिया पर नक्सलियों का समर्थन करने के आरोप में जेल विभाग ने बलौदाबाजार के सहायक जेल अधीक्षक दिनेश ध्रुव को निलंबित कर दिया है। ध्रुव पर सोशल मीडिया पर सरकार की आलोचना और नक्सलियों का समर्थन करने का भी आरोप है। दो महीने पहले (मई) रायपुर में पदस्थ सहायक जेलर वर्षा डोंगरे को भी इसी तरह के आरोपों के कारण निलंबित कर दिया गया था। निलंबित किए गए दोनों ही अफसर आदिवासी हैं। डीआईजी जेल केके गुप्ता ने ध्रुव के निलंबन की पुष्टि करते हुए बताया कि उन्होंने सर्विस रूल का उल्लंघन किया है। ध्रुव को तीन अगस्त को निलंबित किया गया है।
ध्रुव ने इस कार्रवाई को पूर्वाग्रह से प्रेरित बताया है। उन्होंने वर्षा डोंगरे की उस पोस्ट को लाइक किया था, जिसमें वर्षा ने बस्तर में आदिवासियों पर पुलिसिया अत्याचार को लेकर लिखा था। धु्रव का कहना है कि इसी वजह से शायद सरकार ने उन पर कार्रवाई की होगी। इसके अलावा उन्होंने प्रमोशन को लेकर हाईकोर्ट में एक याचिका दायर की थी, जिस पर कोर्ट ने सरकार को प्रमोशन के लिए ऑर्डर किया था। इसकी वजह से ही उन्हें निशाना बनाया जा रहा है।
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