इंदौर: देशभर में शुक्रवार को दशहरे के अवसर पर रावण के पुतलों का जगह-जगह दहन किया गया लेकिन इस प्रचलित धार्मिक परम्परा के उलट मध्यप्रदेश के कुछ इलाकों में दशानन के भक्तों ने उसकी विशेष पूजा-अर्चना की। रावण भक्तों के इंदौर स्थित संगठन जय लंकेश मित्र मंडल के अध्यक्ष महेश गौहर ने बताया कि हमने अपनी पांच दशक पुरानी परंपरा के तहत इस बार भी दशहरे को रावण मोक्ष दिवस के रूप में मनाया।
उन्होंने बताया कि शहर के परदेशीपुरा इलाके में बनाये गये रावण के मंदिर में लंकेश की विशेष पूजा की गयी। इसके साथ ही, सैकड़ों श्रद्धालुओं को प्रसाद बांटा गया। गौहर ने कहा, "रावण भगवान शिव के परम भक्त और प्रकांड विद्वान थे। वह हमारे आराध्य हैं। लिहाजा लोगों से हमारी अपील है कि वे दशहरे पर रावण के पुतले जलाने का सिलसिला बन्द करें।" प्रदेश के मंदसौर कस्बे के खानपुरा इलाके में भी दशहरे पर रावण की पूजा की गयी।
इस क्षेत्र में जिस जगह रावण की प्रतिमा स्थापित है, उसे "रावण रुंडी" कहा जाता है। जनश्रुति है कि मंदसौर का प्राचीन नाम "दशपुर" था और यह स्थान रावण की पत्नी मंदोदरी का मायका था। इसके मद्देनजर हिन्दुओं के नामदेव समुदाय के लोग रावण को "मंदसौर का दामाद" मानते हैं। राज्य के विदिशा जिले के रावण गांव में भी दशानन का प्रसिद्ध मंदिर है, जहां रावण की लेटी हुई अवस्था में प्राचीन प्रतिमा स्थापित है। वहां स्थानीय लोग दशानन को "रावण बाबा" के रूप में पूजते हैं। विजयदशमी पर इस मंदिर में रावण के भक्त बड़ी तादाद में जुटे और अपने आराध्य की पूजा की।
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