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महाराष्ट्र: पुणे में परीक्षा में नकल रोकने के नाम पर उतरवाए छात्राओं के कपड़ें, जांच के आदेश

परीक्षा में नकल पर रोक तो जरूरी है लेकिन सवाल ये है कि छात्राओं के साथ इस तरह का बर्ताव करना कहां तक जायज है। एक छात्रा का कहना है, “मै अभी 12वीं का एक्जाम दे रही हूं। एमआईटी में लड़कियों की चेकिंग ठीक तरह से नहीं हो रही है।

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नई दिल्ली: महाराष्ट्र में दसवीं और बारहवीं की परीक्षा चल रही है लेकिन एग्जाम में नकल रोकने के लिए छात्राओं के कपड़े उतारकर चेकिंग करने के मामले ने तूल पकड़ लिया है। मामला पुणे के एमआईटी कॉलेज का है जहां 10वीं और 12वीं के परीक्षा केन्द्र बनाए गए है। आरोप है कि परीक्षा केन्द्र पर नकल पर लगाम लगाने के लिए 50 से ज्यादा छात्राओं के कपड़े उतारकर चेक किया गया। एक्जाम सेंटर में आनेवाली छात्राओं का आरोप है कि यहाँ पर मौजूद महिला कर्मचारियों ने उनके कपडे उतारकर चेकिंग किया।

परीक्षा में नकल पर रोक तो जरूरी है लेकिन सवाल ये है कि छात्राओं के साथ इस तरह का बर्ताव करना कहां तक जायज है। एक छात्रा का कहना है, “मै अभी 12वीं का एक्जाम दे रही हूं। एमआईटी में लड़कियों की चेकिंग ठीक तरह से नहीं हो रही है। गंदे तरीके से चेकिंग किया जा रहा है। कुछ लड़कियों का तो वाशरूम में चेकिंग किया गया। चेकिंग का यह कौन सा तरीका है?

सेन्टर में छात्राओं के साथ चेकिंग के बाद पैरेंट्स में काफी नाराजगी है। पेरेंट्स ने एमआईटी के टीचर्स और कर्मचारियों के खिलाफ मामला दर्ज करवाया है। पैरेंट्स का कहना है कि 12वीं पढ़नेवाली बेटियों के साथ एमआईटी में जो हुआ उसकी हम निंदा करते है। जिस तरह से चेकिंग किया है वो काफी गलत है। हमें इंसाफ मिलना चाहिए। नकल करने के बहाने इन छात्राओं को जिस तरह से चेकिंग किया उसका हमें दुःख हो रहा है।

घटना के बाद एमआईटी कॉलेज प्रशासन सवालों के घेरे में आ गई है। एमआईटी कॉलेज के प्रिंसिपल ने आरोपों को खारिज करते हुए कहा है कि एग्जाम में छात्राओं को नकल करने से रोका गया इसलिए इस तरह के आरोप लगाए जा रहे हैं। वहीं राज्य महिला आयोग ने भी खुद से इस पूरे मामले पर संज्ञान लेते हुए उचित कदम का भरोसा दिया है। मामले की गंभीरता को देखते हुए शिक्षा मंत्री ने भी माना कि यह तरीका गलत था और पूरे मामले के जांच के आदेश दिए हैं।

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