मुंबई: महाराष्ट के मंत्री चंद्रकांत पाटिल ने कहा कि राज्य सरकार द्वारा घोषित कर्ज माफी के दायरे से अमीर किसानों को बाहर रखे जाने की संभावना है, लेकिन यह योजना किसानों के पास मौजूद जमीन के आकार से जुड़ी नहीं होगी। मंत्री ने कहा कि कर्ज माफी के लिये जमीन के मालिकाना हक को नहीं जोड़ने का मतलब है कि अधिक से अधिक किसानों को इसका लाभ मिलेगा। सरकार योजना के कार्यान्वयन के लिए एक उच्च स्तरीय समिति का गठन करेगी। इसकी घोषणा समूचे राज्य में किसानों के आंदोलन के मद्देनजर कल की गई थी। ये भी पढ़ें: कैसे होता है भारत में राष्ट्रपति चुनाव, किसका है पलड़ा भारी, पढ़िए...
राजस्व मंत्री चंद्रकांत पाटिल ने आज कहा कि समिति का इसलिए गठन किया जा रहा है क्योंकि पिछले कर्ज माफी पैकेर्ज 2007-08ी से कई अमीर किसानों को फायदा हुआ था। पाटिल ने कहा कि किसान नेताओं के साथ बैठक में भी इस मुद्दे को उठाया गया था और उन्होंने भी मांग की थी कि पहले जरूरतमंद किसानों को लाभ मिलना चाहिए और सरकार इस मांग पर सहमत हो गई थी। समिति इस योजना के दायरे से अमीर किसानों को बाहर रखने जा रही है।
बहरहाल महाराष्ट के मंत्री सुधीर मुनगंटीवार ने भी आज कहा कि किसानों को उचित तौर पर ण माफ किया जाना बाकी है। उन्होंने कहा, कर्जमाफी के मानदंड को लेकर समिति के किसी फैसले पर पहुंचने के बाद ही माफी की मात्रा का पता चल पायेगा। यह समिति फैसला करेगी कि कर्ज माफी केवल उन्हीं किसानों की की जाये जिनकी आजीविका सिर्फ खेती पर आधारित है और कर्जमाफी पैकेज के दायरे से धनी किसानों को दूर रखा जाये या नहीं।
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