मुंबई: नवी मुंबई में कोरोना वायरस संक्रमण के कारण मरने वाले 64 वर्षीय व्यक्ति के परिजनों ने आरोप लगाया है कि बिस्तर की कमी के कारण अस्पताल में भर्ती हो पाने से पहले उन्हें पूरे एक दिन एम्बुलेंस में ही रखा गया। आखिरकार, जब उन्हें अस्पताल में भर्ती किया गया तो परिवार के पास इंजेक्शन खरीदने तक के लिए पैसे नहीं थे, जिसकी कीमत 32,000 रुपये थी। एक म्यूजिक बैंड में काम करने वाले इस मरीज की 25 जून को मौत हो गई।
उनके बेटे ने बताया, ‘‘उन्हें 20 जून को खांसी और सांस लेने में तकलीफ होने लगी। हम उन्हें वाशी के नवी मुंबई नगर निगम के कोविड अस्पताल ले गए।’’ उन्होंने बताया, ‘‘वहां ऑक्सीजन की आपूर्ति वाला कोई बिस्तर उपलब्ध नहीं था, इसलिए हमें किसी और अस्पताल में जाने को कहा गया।’’ उनके बेटे ने कहा, ‘‘मैंने उनसे पूछा भी कि आप ही बताएं...कहां लेकर जाऊं, लेकिन उन्होंने कुछ नहीं बताया, सिर्फ इतना कहा कि निजी अस्पताल ले जाओ।’’
मृतक के बेटे ने बताया, ‘‘फिर मैंने अस्पताल ढूंढना शुरू किया। कुछ अस्पतालों के मना करने के बाद मैंने ऑक्सीजन आपूर्ति वाला एम्बुलेंस मंगवाया।’’ अगले दिन मरीज को कोपर खैराणे इलाके में एक निजी अस्पताल में भर्ती कराया। मृतक के बेटे ने आरोप लगाते हुए कहा, ‘‘जब डॉक्टर ने उसे बताया कि उसके पिता को एक इंजेक्शन लगाने की जरुरत है, जिसकी कीमत 32,000 रुपये है, तब वह मदद के लिए स्थानीय निकाय के पास गया लेकिन वहां पदाधिकारियों ने हाथ खड़े कर दिए।’’
उसने बताया कि अस्पताल में भर्ती कराये जाने के चार दिन बाद उसके पिता की मृत्यु हो गई। उसने बताया, ‘‘शव वाहन तीन घंटे बाद आया, जिसमें कोई कर्मचारी नहीं था। मैंने और मेरे एक रिश्तेदार ने पीपीई पहना और शव को अंत्येष्टि के लिए लेकर गए।’’ उसने इस बात पर तकलीफ जतायी कि स्थानीय होने, करदाता होने के बावजूद निकाय ने उसके पिता को बचाने के लिए एक इंजेक्शन की व्यवस्था नहीं की। उसने यह भी कहा, ‘‘मैं अब मीडिया को यह कह रहा हूं क्योंकि मैं नहीं चाहता कि किसी और मरीज को इस तरह मरना पड़े। नवी मुंबई नगर निगम को अपनी मेडिकल सुविधाएं दुरूस्त करनी चाहिए। ’’
शुक्रवार तक, नवी मुंबई में कोविड-19 से कम से कम 232 लोगों की मौत हो चुकी है।
Latest India News