मुंबई: गढ़चिरौली के तीन दिवसीय आधिकारिक दौरे पर गए महाराष्ट्र विधायकों का पांच सदस्यीय दल उन नक्सलियों के निशाने पर हो सकता था जिनमें से सोलह को सुरक्षा बलों ने रविवार को मार गिराया था। आधिकारिक सूत्रों ने सोमवार को यह जानकारी दी। सावधानी के तौर पर विधायकों के दल को पुलिस कमांडों के कड़े सुरक्षा घेरे में यात्रा की इजाजत दी गई थी। इन विधायकों की भामरगढ़ के दूरस्थ इलाकों व कुछ अत्यधिक खतरे वाले क्षेत्रों की यात्रा करनी थीं।
पुलिस ने एक जगह पर खुफिया सूचनाओं के आधार पर संभावित 'गंभीर खतरा' जताते हुए विधायकों को अहेरी से भामरगढ़ तक सड़क मार्ग से यात्रा करने से बचने की सलाह दी। यह दूरी करीब 75 किमी की थी। यह सड़क घने जंगलों व नक्सली ठिकानों व क्षेत्रों से गुजरती है। इसके बाद, विधायकों के लिए अहेरी से भामरगढ़ के लिए एक हेलीकॉप्टर की व्यवस्था की गई और इसके बाद हेलीपैड से हेमलकासा आश्रम की करीब पांच किमी की दूरी विधायकों ने वाहन से तय की। हेमलकसा आश्रम की स्थापना प्रसिद्ध समाज सुधार बाबा आम्टे ने की थी। इन पांच विधायकों में पांडुरंग बरोरा, वैभव पिचद, आनंद ठाकुर (राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी से) तथा शांताराम मोरे व अमित घोडा (शिवसेना से) शामिल थे।
बरोरा ने कहा, "जनजातीय विभाग समिति के रूप में दल क्षेत्र में जनजातीय व पिछड़े समुदायों के लिए विभिन्न सरकारी योजनाओं के क्रियान्वयन की जांच के लिए सर्वेक्षण करने गया था। एक जगह पर जिला व पुलिस प्रशासन ने हमें सलाह दी कि सड़क से यात्रा करना बहुत सुरक्षित नहीं हो सकता है, इसलिए उन्होंने हमारे लिए हेलीकॉप्टर की व्यवस्था की।" स्थानीय अधिकारियों ने कहा कि यह पहली बार है कि इस तरह से विधायकों की समिति ने सरकारी कार्यक्रमों के क्रियान्वयन व सरकार के हजारों करोड़ रुपये की निधि का वार्षिक तौर पर किस तरह से वास्तव में इस्तेमाल हो रहा है, इसकी जांच के लिए नक्सलवाद प्रभावित इलाके का दौरा किया। बरोरा ने कहा कि वास्तव में जब वे अपनी यात्रा से लौट आए और उन्हें सुरक्षा बलों के बड़े स्तर पर अभियान की जानकारी हुई तो विधायकों ने पुलिस व नक्सल रोधी दस्ते के कमांडों की अपनी सुरक्षित यात्रा के लिए तारीफ की। सुरक्षा बलों ने इस अभियान में 16 नक्सलियों को मार गिराया था।
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