पुणे: पुणे से मध्यप्रदेश के लिए जाने वाली एक श्रमिक विशेष रेलगाड़ी के लिए 300 प्रवासी कामगारों ने रविवार को यात्रा के लिए रिपोर्ट नहीं की और उत्तराखंड जाने वाली रेलगाड़ी के लिए 80 श्रमिकों ने रिपोर्ट नहीं की। स्थानीय अधिकारियों ने दावा किया कि क्षेत्र में कई उद्योगों के फिर से खुलने के कारण ये ‘‘सकारात्मक’’ संकेत हैं।
एक अधिकारी ने बताया कि मध्यप्रदेश जाने के लिए 1172 लोगों को अनुमति मिली थी लेकिन रेलगाड़ी खुलते समय तक दौंद स्टेशन पर 300 श्रमिकों ने रिपोर्ट नहीं की जिनमें अधिकतर एमआईडीसी इलाके में काम करते थे। दौंद के तहसीलदार संजय पाटिल ने कहा, ‘‘इन लोगों ने दावा किया है कि वे यात्रा नहीं करेंगे क्योंकि उन्हें यहां के एमआईडीसी इलाके में काम मिल रहा है। वहां की कंपनियां भी जानती हैं कि श्रमिकों के जाने से उन्हें दिक्कत आएगी, इसलिए उन्होंने प्रोत्साहन राशि की पेशकश की गई है।’’
उन्होंने कहा कि सोमवार को उत्तराखंड के लिए रवाना हुई एक रेलगाड़ी में भी 80 मजदूर सवार होने नहीं आए और उनमें से सभी ने दावा किया कि यहां काम शुरू हो गया है इसलिए उन्हें अपने गांव जाने की जरूरत नहीं है। पुणे के जिलाधिकारी नवल किशोर राम ने कहा, ‘‘वास्तव में यह सकारात्मक संकेत है। एमआईडीसी इलाके में उद्योगो को खोलना और गैर निषिद्ध क्षेत्रों में निर्माण कार्यों की इजाजत देने से श्रमिकों के बीच सकारात्मक माहौल बना है। इसलिए वे रूकने को प्राथमिकता दे रहे हैं।’’
पाटिल ने कहा कि अधिकारियों को ‘‘प्रतीक्षा सूची’’ के लोगों को बुलाना पड़ा ताकि सुनिश्चित किया जा सके कि रेलगाड़ियां मंजूर क्षमता से कम पर नहीं चलें। मध्यप्रदेश की रेलगाड़ी में सवार नहीं होने वाले 300 मजदूरों में से एक ज्वाला प्रसाद ने कहा कि वह इसलिए रवाना नही हुए कि कुरमुख एमआईडीसी के संयंत्र में काम शुरू हो गया है जहां वह काम करता था। उसने कहा, ‘‘मैं यहां अपनी पत्नी और दो बच्चों के साथ दस वर्षों से रह रहा हूं। हमने श्रमिक विशेष रेलगाड़ी के लिए फॉर्म भी भरा लेकिन मेरी कंपनी में काम शुरू होने के कारण लौटने की योजना छोड़ दी।’’
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