नई दिल्ली: बालाकोट पाकिस्तान के मानशेरा जिला में स्थित है और यह मंगलवार को भारतीय वायुसेना के एयरस्ट्राइक के बाद से काफी चर्चा में है। वर्ष 2001 से आतंकी संगठन जैश-ए-मोहम्मद का सबसे बड़ा ट्रेनिंग कैंप बना हुआ है। इस केंद्र का उपयोग केवल एक बार में 10 हजार लोगों को आतंक के रास्ते पर लाने के लिए ही नहीं किया जाता था बल्कि वहां कई मदरसे, मस्जिद और कंट्रोल रूम थे जहां से कई आतंकी अभियानों की प्लानिंग की जाती थी। जैश-ए-मोहम्मद का चीफ मसूद अजहर और उसका भाई अब्दुल रउफ असगर की निगरानी में यह कैंप चलता था।
खुफिया सूत्र के मुताबिक भारत में फिदायीन हमलों की तैयारी के साथ ही अन्य गतिविधियों की प्लानिंग और ट्रेनिंग बालाकोट के इस कैंप में होती थी। पठानकोट हमले की चार्जशीट के साथ ही कई अन्य जांच रिपोर्ट में भी बालाकोट का जिक्र हुआ है जिसे जैश का बड़ा ट्रेनिंग केंद्र बताया गया। जांच के मुताबिक 2001 में जम्मू-कश्मीर विधानसभा पर हमले की प्लानिंग भी बालाकोट में की गई थी।
खैबर-पख्तून्ख्वा प्रांत में पड़नेवाला यह इलाका पाक अधिकृत कश्मीर से ठीक सटा हुआ है और बेहद अहम स्थान पर है। खुफिया सूत्रों के मुताबिक यहां केवल कंट्रोल रूम ही नहीं बल्कि आत्मघाती हमलों को अंजाम देने की ट्रेनिंग भी दी जाती है। यहां के मदरसों में जिहादी की ट्रेनिंग भी दी जाती है।
सूत्रों के मुताबिक बालाकोट में आतंकी कैंप के लिए मसूद अजहर को बड़े पैमाने धन और जमीन दी गई। कुथ वर्षों में यह जैश का अहम ट्रेनिंग सेंटर बन गया। इस सेंटर में वाटर टैंक, मेडिकल कैंप, ट्रेनिंग ग्राउंड उपलब्ध है और यहां प्रत्येक साल 10 हजार लोग ट्रेनिंग के लिए इनरॉल होते हैं। यह केंद्र सीधे तौर पर मसूद अजहर के निर्देशों पर चलता है। मौजूदा समय में इसे मसूद का साला युसूफ अजहर चला रहा था।
2001 से पहले जैश के आतंकियों को अफगानिस्तान में ट्रेनिंग दी जाती थी। पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी आईएसआई ने इसे बालाकोट स्थापित करने में अहम भूमिका निभाई। 2005 में आए भूकंप में यहां भारी तबाही मची थी जिसके बाद लश्कर के प्रमुख हाफिज सईद ने यहां का दौरा भी किया था राहत कार्यों में मदद की थी।
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