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Hindi News भारत राष्ट्रीय अतिथि विद्वानों के धरने में पहुंचे शिवराज, प्रशासन को चेताते हुए बोले- हाथ मत लगा लेना ‘टाइगर अभी जिंदा है’

अतिथि विद्वानों के धरने में पहुंचे शिवराज, प्रशासन को चेताते हुए बोले- हाथ मत लगा लेना ‘टाइगर अभी जिंदा है’

सरकार को चेतावनी देते हुए शिवराज सिंह चौहान ने कहा ऐसे काम मत करो कमलनाथ जिससे आग लगे, अगर सरकार नहीं मानी तो ईट से ईट बजा देंगे। 

Shivraj Singh- India TV Hindi Image Source : INDIA TV अतिथि विद्वानों के धरने में पहुंचे शिवराज

भोपाल। मध्य प्रदेश में एमपी पीएससी से चयनित सहायक प्राध्यापकों के बाद अब प्रदेश भर के अतिथि विद्वानों ने सरकार के खिलाफ राजधानी भोपाल में मोर्चा खोल रखा है। विधानसभा चुनाव के दौरान 90 दिन में 4 से 5000 अतिथि विद्वानों को नियमित करने का वादा करने वाली कांग्रेस सरकार को उसका वादा याद दिलाने के लिए यह अतिथि विद्वान राजधानी भोपाल के शाहजहानी पार्क में एकत्रित हुए थे।

इस मौके पर अतिथि विद्वानों को समर्थन देने पहुंचे पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने अतिथि विद्वानों से कहा मुझे लगता था सरकार ने जो वचन दिया था उसके मुताबिक आपकी मांग पूरा करेगें। 1 साल पूरा हो गया वचन पत्र में वायदे किए थे लेकिन अब तक सरकार ने पूरे नहीं किए, इसलिए कमलनाथ सरकार को चाहिए कि वह अतिथि विद्वानों की बहाली के आदेश जारी करें नहीं तो हमें सड़कों पर आने को मजबूर होना पड़ेगा।

अतिथि विद्वानों के साथ पुलिस की कार्रवाई पर सवाल उठाते हुए शिवराज सिंह चौहान ने कहा कि अतिथि महिला विद्वानों को पुलिस ने उठाकर जंगल में छोड़ दिया। सरकार को धमकी देते हुए शिवराज सिंह चौहान ने कहा ऐसे काम मत करो कमलनाथ जिससे आग लगे, अगर सरकार नहीं मानी तो ईट से ईट बजा देंगे। शिवराज सिंह चौहान ने कहा हम आप की मांगों का समर्थन कर रहे हैं। विधायक दल की बैठक में भी बात होगी और प्रशासन से कह रहे हैं कि इन्हें हाथ मत लगा देना उंगली मत उठा देना "टाइगर अभी जिंदा है"।

दरअसल विधानसभा चुनाव के दौरान कांग्रेस ने इन अतिथि विद्वानों से 90 दिनों में नियमित करने का वादा किया था। प्रदेश में इस वक्त 4000 से 5000 अतिथि विद्वान है इनमें से पांच सौ से ज्यादा यूजीसी क्वालिफाइड हैं लेकिन अतिथि विद्वानों की मानें तो सहायक प्राध्यापकों की नियुक्ति के बाद तकरीबन 830 अतिथि विद्वानों को बाहर कर दिया है। 2 महीने पहले उच्च शिक्षा मंत्री जीतू पटवारी ने भी इन्हें नियमित करने का आश्वासन दिया था लेकिन जब आश्वासन पूरा नहीं हुआ तो यह अतिथि विद्वान पैदल मार्च लेकर छिंदवाड़ा से भोपाल पहुंचे थे।

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