मध्य प्रदेश: पुजारियों की नियुक्ति के नियम पर BJP ने सरकार को घेरा, मुल्ला और पादरियों पर भी नियम की मांग
मध्यप्रदेश में अब पुजारी बनने के लिए अकेले भगवान के जप से काम नही चलेगा बल्कि सरकारी कायदों का तप भी करना पड़ेगा।
नई दिल्ली। मध्यप्रदेश में अब पुजारी बनने के लिए अकेले भगवान के जप से काम नही चलेगा बल्कि सरकारी कायदों का तप भी करना पड़ेगा। कमलनाथ सरकार ने अपने चुनावी वचन पत्र के वादे के मुताबिक मठ मंदिर और पुजारियों के नियमों में बदलाव तो कर दिया लेकिन शर्तों को मंदिरों के पुजारी हिंदू धर्म मैं दखलअंदाजी मान रही है। वहीं भाजपा इसे हिंदू धर्म पर हमला मानते हुए कमलनाथ सरकार को कह रही है कि मुस्लिम और ईसाई धर्म के लिए भी गाइडलाइन बनाएं।
जाहिर है अब ये जरुरी नहीं कि माथे पर त्रिपुंंड, गले में लंबी माला, पीली वेषभूषा, वेद मंत्रों को जप और यज्ञ कराने वाला ही मंदिर का पुजारी कहलाएगा। कम से कम मध्यप्रदेश में तो अब ऐसा हरगिज नहीं होगा। जब तक कि पुजारी कमलनाथ सरकार के नए नियमों पर खरा ना उतरा जाएं।
पुजारी बनने के लिए वो नियम और नीतियों पर पहले जरा गौर कर लीजिए, जो सरकारी तौर पर अनिवार्य कर दी गईं हैं।
- पुजारी की न्यूनतम उम्र 18 वर्ष होगी
- कम से कम आठवीं पास होना जरूरी
- पूजा विधि की प्रमाण पत्र परीक्षा उत्तीर्ण होना
- शुद्ध शकाहारी व्यक्ति को ही मान्यता मिलेगी।
- मांस-मदिरा का सेवन करने वाला अयोग्य होगा।
- आपराधिक चरित्र का नहीं हो।
- देवस्थान की जमीन पर अतिक्रमण का दोषी ना हो।
- देवस्थान की अन्य संपत्ति को खुर्दबुर्द करने का दोषी नहीं हो।
दरअसल पुजारियों के इन सरकारी मापदंडों के पीछे कांग्रेस के विधानसभा चुनाव में छपे वचन पत्र का वो वादा छिपा है जो अब सत्ता में आकर कमलनाथ सरकार पूरा कर रही है।मठ मंदिरों में गुरु-शिष्य की परम्परा को आगे बढ़ाने के साथ ही पुजारियों की भी वंश परम्परा के अनुसार नियुक्ति की मंशा पर अब ये सारे सरकारी नीति नियम तैयार हो चुके हैं। संत का नामांतरण भी अब से इसी परम्परा के हिसाब से होगा। खासतौर पर किसी मठ मंदिर में अगर पिता पुजारी हैं तो उन्हें गुरू और उनके पुत्र या फिर उनके वंशज को शिष्य मानकर ये परंपरा निभाई जाएगी। लेकिन योग्यता का नया मापदंड तो पूरा उन्हें भी करना होगा।
कमलनाथ सरकार के धर्मस्व मंत्री पीसी शर्मा ने इंडिया टीवी से कहा गुरु शिष्य परंपरा हमारे यहां सनातन परंपरा है इसलिए इस परंपरा को आगे बढ़ाने के साथ कोई भी पुजारी हो उसके लिए नॉर्म तय किए गए है पहले से संस्कृत का ज्ञान हो शास्त्र का ज्ञान हो नशीली चीजों का सेवन न करें जो हमारी संस्कृति में है वहीं कमलनाथ सरकार चाहती है कि मध्य प्रदेश में मठ मंदिर पर जो भी पुजारी हो जनता को उनके बारे में पता चले
वैसे सत्ता बदलती है तो कायदे भी बदल जाते हैं। हुआ भी यही पहले बीजेपी सरकार में पुजारियों के पद के लिए सभी वर्गों के लोगों को भर्ती करने की पेशकश की थी, लेकिन अब बदलती सरकार के बदले नियम बीजेपी को खटक रहे हैं।
बीजेपी के प्रदेश उपाध्यक्ष और भोपाल से विधायक रामेश्वर शर्मा का कहना है कि कांग्रेस सरकार मंदिर और पुजारियों के बीच राजनैतिक दखलअंदाजी कर सिर्फ हिंदु धर्म को टारगेट कर रही है। अगर बनाना है तो सभी धर्म अनुयायियों के लिए नियम बनाएं जाएं।
लेकिन इस फैसले पर सिर्फ सियासी पारा ही गर्म नहीं हुआ बल्कि गुस्साए तो पुजारी भी हैं। पुजारियों को लग रहा है कि सरकार जबरदस्ती सरकारी नियमों की आड़ में तुष्टिकरण की नीति अपना रही है वहीं मदिरा का नियम बनाकर पुजारियों का अपमान भी कर रही है