भोपाल: नर्मदा नदी पर बने सरदार सरोवर बांध (एसएसडी) के गेट बंद होने से मध्यप्रदेश के डूब में आने वाले 40,000 प्रभावित परिवारों के घरों में आज चूल्हा नहीं जला। वहीं डूब प्रभावितों के उचित पुर्नवास की मांग को लेकर बड़वानी जिले में नर्मदा बचाओ आंदोलन (एनबीए) नेता मेधा पाटकर का अनिश्चितकालीन उपवास आज पांचवे दिन भी जारी रहा।
मध्यप्रदेश के बड़वानी, अलीराजपुर, धार, और खरगोन जिलों के डूब से प्रभावित होने वाले अधिकांश परिवारों ने अपने स्थान खाली नहीं किये हैं, जबकि सरकार द्वारा इन परिवारों को अपने स्थान खाली करने की अंतिम तिथि 31 जुलाई निर्धारित की गयी थी।
विस्थापितों के लिये काम करने वाली एक कार्यकर्ता हिम्शी सिंह ने बताया कि बांध क्षेत्र के जलाशय क्षेत्र में नर्मदा नदी का पानी बढ़ने से प्रभावितों के आवास डूबने का खतरा तेजी से बढ़ रहा है, जबकि प्रभावित परिवार अपने स्थान नहीं छोड़ रहे हैं और सरकार द्वारा बनाये गये अस्थायी बसाहटों में नहीं जा रहे हैं।
सिंह ने बताया कि एसएसडी बांध के गेट बंद करने और उचित पुनर्वास की मांग को लेकर आज विरोध स्वरूप डूब से प्रभावित होने वाले लगभग 40,000 परिवारों के घरों में चूल्हे नहीं जले। डूब प्रभावितों के उचित पुनर्वास की मांग को लेकर एनबीए नेता मेधा पाटकर का अनिश्चितकालीन उपवास आज पांचवे दिन भी जारी रहा।
उन्होंने आरोप लगाया, सरकार डूब से प्रभावित होने वाले परिवारों को ऐसी जगह पर ले जाना चाहती है, जहां बुनियादी सुविधाएं भी नहीं हैं। गुजरात सरकार ने केन्द्र के निर्देश पर पिछले माह एसएसडी के गेट बंद कर दिये। इस परियोजना का शिलान्यास 56 साल पहले किया गया था।
इस बीच, एनबीए ने डूब प्रभावितों की दुर्दशा को लेकर शीर्ष अदालत में एक याचिका दायर की है और इसकी तत्काल सुनवाई की मांग की है। इस याचिका की सुनवाई 8 अगस्त को होगी।
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